नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को एनसीईआरटी की पुस्तकों को लेकर चले आ रहे विवाद में फिलहाल बड़ी राहत दे दी है। न्यायालय ने सरकार के आईसीएसई से संबद्ध विद्यालयों को छोड़कर सभी विद्यालयों में एनसीईआरटी की पुस्तकें लागू करने के आदेश को सही माना है।
न्यायालय ने इस मामले से जुड़े 15 फरवरी, 6 मार्च व 9 मार्च को जारी शासनादेशों पर रोक लगा कर बुक सेलेरों को भी कुछ राहत दे दी है। जबकि निजी स्कूल संचालक एवं प्रकाशकों को अपनी पुस्तक लागू करने के लिए पुस्तकों की सूची, कीमत राज्य सरकार एवं एनसीईआरटी को भेजने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही मामले की सुनवाई की अगली तिथि तीन मई तय कर दी है। शुक्रवार को संयुक्त विद्यालय प्रबंधन समिति यूएस नगर, निशा एजुकेशन, नॉलेज र्वल्ड/प्रिसीपल प्रोगेसिव स्कूल एसोसिएशन, ऊधमसिंह नगर एसोसिएशन आफ इंडिपेंडेंट स्कूल, जंसवत एजुकेशन ट्रस्ट, प्रा. स्कूल एसोसिएशन एवं चिल्ड्रन एसोसिएशन समेत सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद न्यायालय ने सरकार को फिलहाल राहत दे दी है।
न्यायालय ने अंतिरम आदेश जारी कर सरकार के फैसले के कुछ बिंदुओं पर मुहर लगा दी है। न्यायालय ने साफ कर दिया है कि यदि कोई प्रकाशक या निजी स्कूल अपनी पुस्तकों को लागू करना चाहता है तो इनको सूची, कीमत की जानकारी राज्य सरकार एवं एनसीईआरटी को देगा। इन पुस्तकों की कीमत एनसीईआरटी के समकक्ष होगी। इन याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार के 23 अगस्त 2017 को जारी शासनादेश को चुनौती दी थी। इस शासनादेश में सरकार ने राज्य में आईसीएससी के विद्यालयों को छोड़कर सभी राजकीय, सहायता प्राप्त, मान्यता प्राप्त अशासकीय विद्यालय तथा अंग्रेजी माध्यमों के स्कूल एवं कालेजों में एनसीईआरटी की पुस्तकें लागू करने का प्रावधान किया गया था।