नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट ने उत्तराखंड समेत सभी हिमालयी राज्यों को करों में मिलने वाली छूट को बढ़ा कर 2027 तक कर दिया है। वैसे उत्तराखंड में यह छूट 2020 तक खत्म हो जानी थी। जीएसटी लागू होने के बाद यह सुविधा अपने आप खत्म हो गयी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया। सभी हिमालयी प्रदेश केद्र सरकार ने उद्योगों को करों में राहत जारी रखने की मांग कर रहे थे। बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि एक जुलाई से लागू जीएसटी के तहत पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों में उद्योगों को मार्च 2027 तक कर छूट मिलती रहेंगी। उन्हें हालांकि यह छूट नयी व्यवस्था में अब रिफंड के रूप में मिलेगी। उन्होंने कहा, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून के मसौदे के अंतर्गत प्रत्येक उद्योग निश्चित समयावधि 31 मार्च 2027 में अपने खुद की रिफंड व्यवस्था के हकदार होंगे। वैसे रिफंड को लेकर केंद्र सरकार कहती रही है कि वह केवल 58 फीसद ही रिफंड करेगी। शेष 42 फीसद रिफंड कौन करेगा इसपर अभी तक स्पष्टता नहीं है। हालांकि वित्त मंत्री प्रकाश पंत कहते रहे हैं कि करीब 17 करों के जीएसटी में विलीन हो जाने से उद्योगों को बहुत लाभ हो रहा है। राज्य को केवल एक डेढ़ फीसद ही रिफंड देना होगा। उनका मानना है कि अगर रिफंड उद्योंगों के लिए बड़ी समस्या होती तो उद्योग इस मसले को बड़े जोर-शोर से उठाते होते। बहरलाल केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पूर्वोत्तर तथा जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे हिमालयी राज्यों में पूर्व उत्पाद शुल्क व्यवस्था के तहत उद्योग को 10 साल की छूट मिलेगी। जेटली ने कहा कि योजना के तहत इस अवधि के दौरान कामकाज शुरू करने वाले उद्योग को 10 साल के लिए उत्पाद शुल्क अवकाश मिलेगा। साथ ही प्रत्येक उद्योग के लिए अलग से बची हुई अवधि होगी। इसके तहत उत्पादन शुरू करने के बाद उन्हें 10 साल की छूट मिलेगी। जीएसटी व्यवस्था के तहत छूट के लिए कोई प्रावधान नहीं है लेकिन कानून के तहत एक प्रावधान है जो रिफंड की अनुमति देता है। उन्होंने कहा, इसीलिए रिफंड की डीबीटी के जरिए अनुमति होगी। इस छूट के समाप्त होने का उपबंध बढ़ाकर 2027 कर दिया गया है। इससे 4,284 औद्योगिक प्रतिष्ठान इस लाभ के हकदार होंगे। इस मद में 27,413 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।