गैरसैंण/देहरादून। गैरसैंण में चल रहे शीतकालीन विधानसभा सत्र के पहले दिन ही तबादला कानून त्रिवेन्द्र सरकार ने पास कर दिया है। विधेयक में प्राविधान किया है कि अगर तबादले के लिए अर्जी या सिफारिश के जरिए तबादला रुकवाने की कोशिश की तो उसे तबादला अधिनियम के तहत दंडित किया जाएगा।
भाजपा ने सत्ता संभालने के बाद साफ कर दिया था कि वो तबादला कानून को ठंडे बस्ते में नहीं रहने देगी। इस कानून के प्रस्ताव को प्रवर समिति ने 15 जून को विधानसभा के पटल पर रख दिया था। आखिरकार गैरसैंण सत्र के पहले दिन ही इस एक्ट पर मुहर लग गई। तालियों की गड़गड़ाहट के साथ ही सदन ने इसका स्वागत किया। विधेयक में प्राविधान किया है कि अगर कोई अपना तबादला रुकवाने के लिए परिजनों की अर्जी का इस्तेमाल करता है तो अर्जी को कर्मचारी की व्यक्तिगत फाइल में रखा जाएगा और ऐसी अर्जियों को आगे नहीं भेजा जाएगा यही नहीं इसको कर्मचारी की सालाना गोपनीय प्रविष्टि में भी अंकित किया जाएगा। अगर कोई कर्मचारी किसी से सिफारिश लगवाता है या अनुचित दबाव बनाता है तो उसे कर्मचारी द्वारा सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन माना जाएगा और उसके विरुद्ध उत्तराखंड सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 2003 के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। यही नहीं जो भी तबादला अधिनियम का उल्लंघन कर किसी तबादला आदेश का तय समय सीमा के अंदर पालन नहीं करेगा। उसके खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।सामान्य स्थानांतरण के लिए समय सारिणी भी तय की गई है । तबादला प्रक्रिया हर साल 31 मार्च से तबादला प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। विधेयक में अनिवार्य तबादलों में सुगम से दुर्गम व दुर्गम से सुगम में तबादले से छूट के मामलों में कई गंभीर बीमारियों को शामिल किया गया है।