देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। अधिकारियों के खेल से खासे नाराज सूबे के वन मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने मुख्यमंत्री को फोन के माध्यम से अपनी व्यथा से अवगत कराया। साथ ही कहा कि 23 मई के बाद वह लालढांग-चिलरखाल मार्ग को लेकर सभी तथ्यों व साक्ष्यों के साथ उनसे (मुख्यमंत्री से) मुलाकात करेंगे।
उत्तराखंड के भीतर ही गढ़वाल.कुमाऊं को आपस में जोड़ने वाली कंडी रोड के लालढांग[चिलरखाल हिस्से का निर्माण कार्य रोके जाने से नाराज सूबे के वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के समक्ष फोन पर अपनी व्यथा रखी। उन्होंने कहा कि यह सड़क मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार है, जिस तरह से नौकरशाही इसे लेकर खेल खेल रही है, वह ठीक नहीं है। डॉ. रावत के अनुसार उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा. जो हुआ वह गलत हुआ है। मैं बहुत दुखी हूं। इतना दुखी अब तक के राजनीतिक कॅरियर में कभी नहीं हुआ। हमारी मंशा राज्य का विकास है। जनता की सुविधाओं का ख्याल रखना है। लालढांग-चिलरखाल मार्ग के संबंध में कोई मुझसे पूछता तो मैं बताता। मुझे विश्वास में लिया जाना चाहिए था।
वन मंत्री डा. हरक सिंह रावत के अनुसार उन्होंने मुख्यमंत्री को बताया कि यदि इस मामले में कुछ गलत था तो भूमि हस्तांतरण कैसे किया गया। शासन ने ही इसके आदेश किए। फिर यह सड़क जनता को सुविधा मुहैया कराने के लिहाज से महत्वपूर्ण है। उन्होंने सवाल किया कि अपर मुख्य सचिव एक डीएफओ के कहने पर सड़क का काम कैसे रुकवा सकते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि 23 मई के बाद वह सभी तथ्यों व साक्ष्यों के साथ उनसे मुलाकात करेंगे। उधर, इस प्रकरण के सुर्खियां बनने के बाद प्रमुख सचिव वन ने वन विभाग से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। उन्होंने बताया कि इस सड़क के लिए भूमि हस्तांतरण से लेकर अब तक की स्थिति पर समग्र रिपोर्ट मांगी गई है।
विदित हो कि वन मंत्री डॉण्रावत की पहल पर पूर्व में 11 किमी लंबे लालढांग.चिलरखाल मार्ग के लिए वन भूमि लोनिवि को हस्तांतरित की गई थी। इसके बाद लोनिवि ने इस पर तीन पुलों के साथ ही सड़क की पेंटिंग का कार्य शुरू करा दिया। वर्तमान में वहां पुलों का निर्माण कार्य चल रहा था। इस बीच मामला एनजीटी में पहुंचने पर एनजीटी ने इसकी वस्तुस्थिति को लेकर वन विभाग से रिपोर्ट मांगी। एनजीटी का पत्र मिलने के बाद लैंसडौन वन प्रभाग के डीएफओ ने लोनिवि को काम रोकने के लिए निर्देशित किया। हालांकि, तब लोनिवि ने यह कहकर ऐसा करने से मना कर दिया था कि यह सड़क शासनादेश के तहत उसे हस्तांतरित हुई है। बाद में अपर मुख्य सचिव लोनिवि ने सड़क का काम रोकने के आदेश निर्गत कर दिए। मामला संज्ञान में आने के बाद वन मंत्री भड़क उठे और उन्होंने अपर मुख्य सचिव के आदेश को लेकर सवाल उठाए।