उत्तराखंड: बेरोजगारों से आवेदन शुल्क तो वसूला, भर्ती करना भूला महकमा

डीजी बदले पर अंजाम तक नहीं पहुंची भर्ती
देहरादून। आप भले विश्वास न करे, लेकिन यह सच है। भर्ती के नाम पर बेरोजगारों से इस महकमें ने आवेदन शुल्क तो वसूल लिया, लेकिन नियुक्ति देना शायद भूल गया। नियुक्ति प्रक्रिया के बीच इस महकमें के डीजी जरूर रिटायर होते रहे, लेकिन भर्ती प्रक्रिया अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पायी।
हम बात कर रहे है उत्तराखंड के स्वास्थ्य महानिदेशालय की, जहां संविदा फार्मासिस्ट के 600 पदों पर नियुक्ति के नाम पर बेरोजगारों के साथ मजाक चल रहा है। सरकार के आदेशों के तहत यह नियुक्ति एक महीने के भीतर पूरी होनी थी। लेकिन स्वास्थ्य महानिदेशालय बेरोजगारों से नौकरी के नाम पर लाखों रुपये आवेदन शुल्क के रूप में जमा कराने के बाद नियुक्ति करना भूल गया। जानकारी के अनुसार जुलाई 2016 में तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने स्वास्थ्य विभाग में एलोपैथी फार्मासिस्ट के संविदा के 600 पदों पर नियुक्ति का निर्णय लिया था।
इस पर तत्कालीन प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ओमप्रकाश ने भर्ती प्रक्रिया एक महीने में पूरी करने के निर्देश दिए थे। स्वास्थ्य महानिदेशालय ने भर्ती शुरू करते हुए आवेदन मांगे। बताया जाता है कि राज्य के पांच हजार बेरोजगार फार्मासिस्टों ने एक हजार रुपये आवेदन शुल्क के साथ नौकरी के लिए आवेदन किया। बेरोजगारों से आवेदन शुल्क के रूप में जमा कराने के बाद स्वास्थ्य महानिदेशालय नियुक्ति करना भूल गया। हैरानी की बात यह है कि इस मामले में हाईकोर्ट भी दो बार नियुक्ति के आदेश दे चुका है लेकिन महानिदेशालय प्रक्रिया पूरी करने को तैयार नहीं है।
बताया जाता है कि संविदा फार्मासिस्ट की भर्ती के लिए विज्ञप्ति पूर्व डीजी डॉ.कुसुम नरियाल के समय निकली थी। उनके रिटायर होने के बाद डीजी बने डॉ.डीएस रावत के कार्यकाल में भी भर्ती पूरी नहीं हो पाई। मौजूदा डीजी डॉ.अर्चना श्रीवास्तव का कार्यकाल भी खत्म होने जा रहा है लेकिन भर्ती प्रक्रिया अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पाई है। बेरोजगार डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन से जुड़े पदाधिकारियों के अनुसार हाईकोर्ट और सरकार के आदेश के बावजूद स्वास्थ्य महानिदेशालय भर्ती प्रक्रिया को लटका रहा हैं। इससे बेरोजगारों में नाराजगी है।

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