देहरादून। राज्य में इस समय पेयजल संकट से प्रभावित बस्तियों की संख्या 17032 हैं। इसलिए इस संकट को दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। विधायक धन सिंह नेगी सवाल किया कि पेयजल से संकटग्रस्त इलाकों का सरकार द्वारा कोई आंकलन किया गया है। इस पर मंत्री ने बताया कि अल्मोड़ा में पेयजल गुणवत्ता से आंशिक सेवित बस्तियां मौजूदा समय तक 1805 हैं। इसी तरह बोगेश्वर में 476, चमोली में 1562, चंपावत में 609, देहरादून में 1632, पौड़ी में 3170, हरिद्वार में 300, नैनीताल में 372, पिथौरागढ़ में 1115, रूद्रप्रयाग में 787, टिहरी 4451, ऊधमसिंह नगर में 44 तथा उत्तरकाशी जनपद में 709 बस्तियां आंशिक बस्तियां पेयजल से संकटग्रस्त हैं। उन्होने बताया कि सर्वाधिक संकटग्रस्त इलाकों को सरकार बजट में प्राथमिकता देती है। विधायक खजान दास ने बताया कि जल निगम तथा अन्य विभागों द्वारा राज्य में सीवर निर्माण किया जा रहा है। इस पर मंत्री ने कहा कि सीवर लाइन निर्माण के पश्चात देख रेख को योजनाएं जल संस्थान को हस्तांतरित की जाती है। इसके लिए जल संस्थान को बजट दिया जाता है। इस पर विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने नमामि गंगे में यमुना के किनारे बसे इलाकों को शामिल करने का मामला उठाया। इस पर मंत्री ने कहा कि सरकार इस पर कदम उठा रही है। इस मामले में कई अन्य विधायकों ने देहरादून तथा हल्द्वानी के मामले उठाए। मंत्री पंत ने कहा कि इस दिशा में सरकार प्रयासों में जुटी हुई है और बजट प्रावधान की उपलब्धता के आधार पर बजट आवंटित किया जाता है। उन्होने कहा कि गैरसैंण को भी सीवरेज से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।