उत्तराखण्ड में खेती को बढावा देने के लिए इण्टिग्रेटेड फार्मिंग की जरूरत

देहरादून। राज्य सरकार की ‘‘युवा उत्तराखण्ड उद्यमिता एवं रोजगार की ओर’’ कार्यक्रम-2019 के अन्तर्गत  सेक्टोरल सेशल-प्रथम में कृषि एवं कृषि सम्बन्धित क्षेत्र/सहकारिता विषय पर परिचर्चा की गयी, जिसमें कृषि मंत्री उत्तराखण्ड सरकार सुबोध उनियाल ने अध्यक्ष के रूप में तथा राज्य मंत्री उत्तराखण्ड डाॅ धन सिंह रावत और विधायक विकसनगर मुन्ना सिंह चैहान द्वारा विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया गया। परिचर्चा का संचालन सचिव सहकारिता आर मीनाक्षी सुन्दरम और सचिव कृषि डी सेंथिल पाण्डियन द्वारा किया गया तथा कृषि क्षेत्र में बड़ा योगदान देने वाले तथा इस क्षेत्र के अनुभवी विशेषज्ञों द्वारा उपस्थित युवाओं से अपने अनुभव और विचार साझा करते हुए उन्हें कृषि सैक्टर में स्वयं का उद्यम स्थापित करने की प्ररेणा दी।
परेड ग्राउण्ड में आयोजित कार्यक्रम में परिचर्चा की शुरूआत करते हुए सचिव कृषि डी सेन्थिल पाण्डियन ने कहा कि उत्तराखण्ड में मशरूम उत्पादन, पुष्प उत्पादन, एैरोमैटिक , मधुमक्खी पालन, सीड उत्पादन, जैविक खेती, बागवानी इत्यादि में आपार संभावनाएं हैं। हमें उत्तराखण्ड में खेती को बढावा देने के लिए इण्टिग्रेटेड फार्मिंग  की जरूरत है, जिससे बिखरी लैण्ड, बिखरा मानव संसाधन और बिखरे संसाधनों को एक जगह पर केन्द्रित करत हुए हम न केवल जैविक खेती को बढा सकते हैं बल्कि उत्तराखण्ड के परम्परागत बीज-फसल को भी बचाने के साथ ही खेती से जुडे़ लोगों की आर्थिकी भी बढा सकते हैं। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि हम खेती में इस तरह की तकनीक के विकास पर जोर दें, जो किसानों को खेती करने में अधिक आसान हो सकती हैं और खेती को व्यवसाय के तौर पर लेने से खेती-किसानी का भला हो सकता है। कृषि विशेषज्ञों द्वारा युवाओं को परिचर्चा के दौरान अपने अनुभव साझा करते हुए खेती से जुड़े उद्यम स्थापित करने की आरे प्रेरित किया। आईआईएम काशीपुर के प्रो0 डाॅ0 वैभव भमोरिया ने कहा कि आज खाना सब खाना चाहते हैं, किन्तु खेती कोई नही करना चाहता। उन्होंने कहा कि खेती नयी तकनीक से करने और बेरोजगार युवाओं को इससे जोड़ने से बात बनेगी। ग्रीन पिपिल एण्ड गोट विलेज के संस्थापक रूपेश राय ने कहा कि सब कुछ तीन चीजों पर टिका है साफ जमीन, साफ पानी और हवा और ये तीनों चीजें उत्तराखण्ड में मौजूद हैं। कौशल्या फाउण्डेशन से कौशलेन्द्र कुमार ने कहा कि खेती ऐसा क्षेत्र है, जिसमें आप सबसे कम पढाई से भी उद्यम लगा सकते हो और किसी भी अन्य क्षेत्र से अधिक पैसा कमा सकते हो। दुर्गम क्षेत्र चकराता के त्यूनी तहसील सेे आये प्रोग्रेसिव किसान प्रेमचन्द शर्मा ने कहा कि खेती से जुड़ने के लिए किसी डिग्री विशेष की जरूरत नही है जो भी जैसा भी खेती में सब तरह के लोगों की जरूरत है। सरकार तमाम योजनाओं के द्वारा अनेक प्रोत्साहन दे सकती है और दे रही है, किन्तु बिना लोगों के सहयोग के बेहतर परिणाम नही निकल सकते। उन्होंने कहा कि अटाल ग्राम पंचायत ने अकेले इस वर्ष लगभग सवा दो करोड़ के केवल टमाटर के उत्पादन से पैसा कमाया है।
विकासनगर विधायक मुन्ना सिंह चैहान ने उपस्थित युवाओं को संदेश दिया कि कोई भी देश और समाज तब तक प्रगति नही कर सकता जबतक उसे अपनी कमजोरी और अपनी मजबूती का पता ना हो। उन्होंने कहा कि जहां तक उत्तराखण्ड की मजबूती की बात है तो शुद्ध आवोहवा, पानी, मेहनती मानव संसाधन, विविधताभरी, जलवायु और भौगोलिक स्वरूप हमारी ताकत हैं। वही पहाड़ के किसानों के लिए उचित मार्केटिंग, प्रशिक्षण, जानकारी, बिचैलियों की उपस्थिति, आपदा की मार, जानवरों से खेती को नुकसान इत्यादि हमारी वीकनेस है, इसी को ध्यान में रखते हुए हमारी वर्तमान सरकार कार्य कर रही है और अनेक तरह से किसानो और काश्तकारों के कल्याण के लिए योजना चला रही हैऔर कुछ प्रयासों की और करने की भी जरूरत है। उन्होने ‘मार्किटेबल सरप्लस’ के माध्यम से खेती काके लाभ का सैक्टर बनाने की वकालत करते हुए युवाओं को खेती-बाड़ी से जुड़ने की प्ररेणा दी। उन्होने कहा कि ‘वैराईटी सीड’ को प्रमोट करते हुए भी हम उत्तराखण्ड को नयी ऊंचाईयों पर ले जा सकते हैं।
कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तराखण्ड सरकार किसानों को हर तरह का तकनीकी, नीतिगत और आर्थिक सहयोग प्रदान कर रही है और युवाओं को उत्तराखण्ड  में ऐसे उद्यम स्थापर पर जोर देना होगा, जिसकी मांग न केवल उत्तराखण्ड में है बल्कि देश-विदेश में भी है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार स्वैच्छिक चकबन्दी, वैल्यु एडिशन, आर्गेनिक खेती, बागवानी, ऐरोमैटिक, मशरूम उत्पादन  इत्यादि को बढावा देने के लिए 1 लाख रू0 तक का व्यक्तिगत जबकि 5 लाख रू0 तक सामुहिक कृषि ऋण बिना ब्याज के दे रही है और गावों में खेती बाड़ी को संवारने के लिए ‘आई.एम.ए विलेज’ नाम से गांव का स्थानीय मौलिक चीजों को प्रोत्साहित करते हुए विकास कर रही हैं। उन्होंने युवाओं को खेती से जुड़कर इसमें अपना उद्यम स्थापित करते का संदेश दिया।
इस अवसर पर द गोल्डन टास्क से सुमित लकोटिया, जैविक खेती विशेषज्ञ मनोज जोशी, स्वाती पाण्डेय, मनमोहन भारद्वाज आदि विशेषज्ञों ने भी अपने अनुभव साझा करते हुए युवाओं को खेती से जुड़े उद्यम स्थापित करने का संदेश दिया।

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