उत्तराखण्ड : हाई प्रोफाइल विवाह मामले में हाईकोर्ट ने दिये ये आदेश

नैनीताल/देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। उत्तराखण्ड के स्कीइंग डेस्टिनेशन औली में हो रही हाई प्रोफाइल विवाह मामले में मंगलवार को हाईकोर्ट ने आयोजकों को 21 जून तक तीन करोड़ रूपये हाईकोर्ट में जमा करने के आदेश दिये है। साथ ही कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से शादी की मॉनिटरिंग करने को कहा है। इसके अलावा कोर्ट ने चमोली डीएम से कहा कि इस शादी के दौरान पर्यावरण को हानि न हो वह इसे सुनिश्चित करें। यह उनकी जिम्मेदारी होगी। मामले की अगली सुनवाई 8 जुलाई को होगी।
उत्तराखण्ड के स्कीइंग डेस्टिनेशन औली में 200 करोड़ की शादी के मामले में सुनवाई करते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आयोजकों को तीन करोड़ रूपये हाईकोर्ट में जमा करने के आदेश दिये है। यह रकम 21 जून तक जमा करनी होगी। शादी 22 जून को होनी है। यह रकम रिफंडेबल है। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में सरकार व पीसीबी द्वारा शपथपत्र पेश किया। कोर्ट ने शादी पर किसी तरह की रोक नहीं लगाई है। लेकिन पर्यावरण को होने वाले नुकसान के एवज में तीन करोड़ रुपए 21 जून तक दो किश्तों में जमा करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने जिलाधिकारी चमोली को पिछले साल के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने को जवाबदेह बना दिया है। कहा है कि पर्यावरण मानकों का उल्लंघन होने पर डीएम जिम्मेदार होंगे। कोर्ट ने जिलाधिकारी चमोली को निर्देश दिए हैं कि वह मॉनिटरिंग करे कि हाई कोर्ट के आदेश का पालन किया जा रहा है या नही। इसकी पूरी रिपोर्ट 7 जुलाई को कोर्ट में पेश करे। इसी तरह कोर्ट ने  प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिए है कि पूरी शादी को मॉनिटरिंग के साथ ही वीडियोग्राफी की जाए। हेलीकॉटर के उड़ान पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया है। सरकार अभी तक यह साफ नही कर पायी की औली बुग्याल है या नही। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि कोर्ट में याचिका दायर करने में देर कर दी अभी तो शादी का कार्यक्रम शुरू हो गया हैए नही तो शादी की अनुमति नही दी जा सकती। मामले की अगली सुनवाई आठ जुलाई को होगी।
जनहित याचिका में मांग
पिछले साल हाई कोर्ट के बुग्यालों में व्यावसायिक गतिविधियों पर रोक के आदेश को प्रभावी बनाकर शादी पर रोक लगाई जाए।
न्यायिक आयोग बनाकर शादी के बहाने किए गए घपले की जांच की जाए।
शादी के लिए पर्यावरण के नुकसान के एवज में दो सौ करोड़ जुर्माना वसूला जाए।
सरकारी पक्ष की दलील
इस मामले में सरकार की ओर से कोई भी कार्रवाई विधि विरुद्ध नहीं की गई है।
सरकार की जानकारी के अनुसार शादी के आयोजन से किसी तरह का पर्यावरण नुकसान नहीं हो रहा है।
इस तरह के इवेंट से राज्य की लोक संस्कृति के साथ ही पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
शादी की अनुमति नगरपालिका जोशीमठ ने दी हैए गेस्ट हाउस जीएमवीएन के हैं।
शादी के लिए सरकार द्वारा कोई नया हेलीपैड नहीं बनाया गया है।
पूर्व का हाई कोर्ट का आदेश औली को लेकर था जो थराली क्षेत्र में है जबकि जहां शादी हो रही हैए वह औली हैए जो नगरपालिका जोशीमठ क्षेत्र में है।
कोर्ट ने इन तथ्यों पर मांगा जवाब
जहां शादी हो रही है वह बुग्याल है या नहीं
क्या वहां पहले से हेलीपैड बना है। वहां शादी करने की अनुमति किसने दी। क्या औली बुग्याल की श्रेणी में आता है।

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