देहरादून/हल्द्वानी (गढ़वाल का विकास न्यूज)। आप भले विश्वास न करे, लेकिन यह बात पूरी तरह से सच है। एक ऐसा भी मंदिर है, जहां प्रसाद के स्थान पर भक्त धारदार हथियार लेकर भगवान को प्रसन्न करते है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में पूजा से जंगली जानवर खेतों में खड़ी फसल के साथ ही ग्रामीणों के पालतू जानवरों तक को नुकसान नहीं पहुंचाते है।
देवभूमि उत्तराखंड के हल्द्वानी के करीब कॉर्बेट से सटे घने जंगलों में एक ऐसा अनोखा मंदिर है जहां घंटी, नारियल, बतासे, तेल, दिया नहीं चढ़ता, यहां तक कि पशु बलि भी नहीं होती। इस मंदिर में भक्त धारदार दरांतियां लेकर प्रभु को प्रसन्न करने पहुंचते हैं। ये अनोखा मंदिर फतेहपुर गांव के करीब बना है और इसे गांव वाले गोपाल बिष्ट भगवान का मंदिर कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि गोपाल बिष्ट भगवान से जो मुराद मांगो पूरी होती है। बदले में श्रद्धालु मंदिर के ठीक सामने खड़े करणु पेड़ पर तिलक लगी दरांती गाड़ देते हैं, जिससे गोपाल बिष्ट भगवान प्रसन्न हो जाते हैं।
सबसे ज्यादा आश्चर्य जनक पहलू तो यह है कि इस पेड़ में एक लम्बे समय से अनेकों की संख्या में दरांतियां गड़ी हुई हैंण् इसके बावजूद पेड़ पर किसी प्रकार का कोई असन नहीं दिखता, जबकि सामान्य पेड़ों में कुछ छोटी.छोटी कीलें ठोकने के बाद पेड़ सूखने लगता है। ग्रामीण इसे चमत्कार के रूप में देख रहे है और इसे गोपाल बिष्ट भगवान की कृपा मानते हैं। इस बाबत गांव के निवासियों का कहना है कि उनके बुजुर्ग बताते थे कि इस मंदिर में पूजा से न तो जंगली जानवर खेतों में खड़ी फसल को नुकसान पहुंचाते हैं और न ही जंगल से सटे होने के बावजूद बाघ और लेपर्ड जैसे खूंखार शिकारी ग्रामीणों के पालतू जानवरों को नुकसान पहुंचाते हैं।
स्थानीय निवासियों का यह भी कहना है कि उन्होंने अपने बुजुर्गों को भी इसी तरह गोपाल बिष्ट जी के मंदिर में पूजा करते देखा हैण् साथ ही इस जंगल में अपने सहयोगियों के साथ मवेशियों के लिए चारा तक काटने जाते है, लेकिन किसी भी जंगली जानवर ने उन्हें आज तक किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है। उन्होंने इन सबको भगवान गोपाल बिष्ट की कृपा करार दिया है। मंदिर के पुजारी का कहना है कि किसी ग्रामीण के घर दूध देने वाला मवेशी अचानक बीमार पड़ जाए और दूध देना बंद कर दे तो गोपाल बिष्ट भगवान के मंदिर की विभूति (राख) ऐसा चमत्कार करती है कि सब पहली की तरह सामान्य हो जाता है।