एक माह से खुले मुह को सर्जरी के बाद लाया गया सामान्य अवस्था में

10 घंटे तक चली सर्जरी, इन्दिरेश अस्पताल में क्राॅनिक बायलैट्रल टैम्पोरोमैन्डिबुलर बीमारी के मरीज़ का सफल आपरेशन
देहरादून। मेडिकल साइंस में कई चैंकाने वाले मामले सामने आते रहते हैं। ऐसा ही एक चैंकाने वाला मामला श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में दर्ज किया गया है। क्राॅनिक बीमारी की वज़ह से एक मरीज़ का मुंह एक माह से खुला था। इस परेशानी के कारण मरीज़ न ही कुछ भी खाने की स्थिति में रहा और न ही बोल पाने की स्थिति में था। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में 10 घण्टों तक चले सफल आपरेशन के बाद मरीज़ के मुंह को सामान्य स्थिति में लाया जा सका। आपरेशन के बाद मरीज़ बिल्कुल ठीक है व उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई है।
यह जानकारी श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डाॅ विनय राय ने पत्रकार वार्ता में पत्रकारों से मुखातिब होते हुए दी। उन्होंने बताया कि भगवानपुर हरिद्वार निवासी नौर्थो (40 वर्ष) को क्राॅनिक बायलैट्रल टैम्पोरोमैन्डिबुलर की समस्या थी। इस बीमारी के कारण दांतो के ज्वाइन्ट डिस्लोकेट हो जाते हैं यानी दातों के जोड़ खिसक जाते हैं। मरीज़ खुद के अथक प्रयासों के बाद भी अपने दाॅतों को सामान्य स्थिति में कभी-कभी नहीं ला पाता है। इसके कारण मरीज़ का मुंह एक ही स्थिति में जाम हो जाता है। शुरूआत में नौर्थो ने हरिद्वार, रुड़की व आसपास के क्षेत्रों में उपचार करवाया लेकिन एक माह तक उन्हें कोई लाभ नहीं मिला। 29 मार्च को नौर्थो उपचार के लिए श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में पहुंचे।
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की डाॅ भावना मलिक गोठी (ओरल एण्ड मैग्जीलोफेशियल सर्जन) व डाॅ संजय साधू (वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन), दंत रोग विशेषज्ञ डाॅ धारणा शर्मा व एनेस्थीटिस्ट डाॅ हरिओम ने 30 मार्च को नाॅर्थो की सर्जरी की। 10 घण्टों तक चले सफल आपरेशन के बाद मरीज़ के मुंह को सामान्य स्थिति में लाया जा सका। डाॅ विनय राय ने बताया कि श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में यह इस प्रकार का पहला मामला दर्ज किया गया है। मरीज़ को 4 अप्रैल को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। वह अब अपने सभी रोजमर्रा के काम करने के लिए पूरी तरह स्वस्थ है।
उधर श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की ओरल एण्ड मैग्जीलोफेशियल सर्जन डाॅ भावना मलिक गोठी का कहना है कि क्राॅनिक टी0ऐम0जे0 डिस्लोकेशन की वजह से अगर मरीज़ इलाज नहीं करवाता तो उसका मुंह खुली अवस्था में ही रह जाता है। इस जटिल आपरेशन के दौरान मरीज़ के चेहरे के महसूस करने की क्षमता भी जा सकती थी, परन्तु आपरेशन के बाद नौर्थो का चेहरा सामान्य स्थिति में है।

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