श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के डाॅक्टरों ने दिया नया जीवन
देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के शिशु शल्य चिकित्सक डाॅक्टर मधुकर मलेठा व उनकी टीम ने एक वर्ष के बच्चे की सफल सर्जरी कर आहार नाल बनाई है। बच्चे की जन्म से ही आहार नाल नहीं बनी थी। जन्म के बाद जब मां ने बच्चे को पहली बार दूध पिलाया तो बच्चा दूध नहीं पी सका प्रारम्भिक जाॅचों के बाद बच्चे के आहार नाल ना होने की बात सामने आई। सामान्यतौर पर नवजात शिशुओं में आहार नाल सम्बन्धित बीमारियां प्रति 3500 में से एक बच्चे में पाई जाती है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में इस प्रकार के अब तक लगभग 150 आपरेशन किए जा चुके हैं। लेकिन यह मामला अति दुर्लभ श्रेणी का था। जिसमें बच्चे का आपरेशन दो चरणों में किया जाता है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल मंे पूर्व में इसी प्रकार के दो सफल आपरेशन किए जा चुके हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार आयत व अफसाना के बेटे जैद (उम्र एक साल) निवासी गली नम्बर 6, आज़ाद काॅलोनी, देहरादून को जन्म से ही आहार नाल नहीं थी। मेडिकल साइंस में इस बीमारी को PURE –ESOPHAGEAL ATRESIA कहा जाता है। जन्म के बाद बच्चे का पहला आपरेशन FEEDING GASTROSSTOMY WITH CERVICAL ESOPHAGOSTOMY किया गया। इस आपरेशन के अन्तर्गत आहार नाल बनाने के लिए एक तरह से बेस तैयार किया जाना था। जन्म के एक साद बाद बच्चे का एक और बड़ा आपरेशन किया जाना था। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से यह एक साल बच्चे के लिए बेहद चुनौतीपूर्णं था। इसमें बच्चे को संक्रमण से आदि से बचाना परिवार वालों के लिए बड़ी चुनौती था। बच्चे का दूसरा आपरेशन GASTRIC TRANSPOSITION दिनांक 23 नवम्बर 2019 को किया गया। आपरेशन करीब 6 घण्टे तक चला। इस आपरेशन में डाॅक्टरों ने गले से पेट तक जानी वाली आहार नाल तैयार की गई। आपरेशन के बाद अब बच्चा मूंह से फीडिंग कर पा रहा है व पूरी तरह स्वस्थ है व बच्चे को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। आपरेशन में डाॅ मधुकर मलेठा, डाॅ अर्चना, एनेस्थीसिया से डाॅ प्रतीश व डाॅ तेजस्विनी, शिशु रोग के विभागाध्यक्ष डाॅ उत्कर्ष शर्मा, डाॅ रागिनी सिंह व उनकी टीम व सिस्टर रत्ना, सिस्टर प्रियंका तथा अन्य का विशेष योगदान रहा।
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के वरिष्ठ शिशु शल्य चिकित्सक डाॅ मधुकर मलेठा का कहना था कि कुछ बच्चों में आहार नाल अर्धविकसित होती है। यह मामला ज्यादा जटिल था। इसमें गले से लेकर पेट तक आहार नाल को बनाया गया। बच्चे के माता-पिता, दादा दादी ने एक साल तक बच्चे की परवरिश में बहुत ध्यान दिया। यही कारण रहा कि पहले आपरेशन से दूसरे आपरेशन के दौरान एक साल तक बच्चा संक्रमण की चपेट में नहीं आया। जागरुक माता-पिता व दादा दादी को इसके लिए बधाई कि उन्होंने बच्चे की देखभाल बहुत अच्छे तरीके से की और हम बच्चे की जान बचाने में कामयाब रहे।
इसी तरह बच्चे के दादा मोहम्मद अशरफ का कहना था कि हमें बड़ी खुशी है कि हम सही समय पर अपने बच्चे जैद को श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल ला पाए। डाॅ मधुकर मलेठा व उनकी टीम ने बच्चा का आपरेशन कर उसे नया जन्म दिया है। एक साल बाद बच्चे को पहली बार मुंह से दूध पीता देखकर परिवार वालों को बेहद प्रसन्नता हुई जिन्हें शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है। हम डाॅक्टरों की टीम व स्टाफ के लिए दुआ करते हैं जिनकी मेहनत और इच्छाशक्ति से आज हमारा बच्चा स्वस्थ है और हंस खेल रहा है।