देहरादून/काशीपुर। जहां देश में गरीब रेखा से नीचे रहने वालों की संख्या करोड़ों में है, देश की आधी आबादी को पूरी मूलभूत सुविधायें तक नहीं मिल पा रही है वहीं केन्द्र सरकार व उत्तराखंड सरकार की भारी भरकम सहायता से चलने वाले चन्द छात्र-छात्राओं को कोर्स कराने वाले देश के प्रतिष्ठिा भारतीय प्रबंध संस्थान (आई.आई.एम) ने केवल दीक्षान्त समारोहो में ही 1 करोड़ 40 लाख 89 हजार 161 रूपये खर्च कर दिये। यह खुलासा आई.आई.एम. काशीपुर के लोेक सूचना अधिकारी द्वारा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ।
सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने भारतीय प्रबंध संस्थान काशीपुर के केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी से भारतीय प्रबंध संस्थान में प्रवेश लेने वाले छात्रों तथा दीक्षान्त समारोह (कन्वोकेशन) पर खर्च आदि की सूचना मांगी। इसके उत्तर में आई.आई.एम. काशीपुर के केन्द्रीय सूचना अधिकारी द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार वित्तीय वर्ष 2012-13 से 2016-17 तक पांच सालों के दीक्षांत समारोह में कुल 1 करोड़ 40 लाख 89 हजार 161 रूपये खर्च किये गये है। वर्ष 2016-16 में सर्वाधिक 75 लाख 53 हजार 933 तथा वर्ष 2015-16 में सबसे कम 1 लाख 32 हजार 822 रूपये खर्च किये गये है। जबकि 2012-13 में 36 लाख 11 हजार 73, वर्ष 2013-14 में 13 लाख 73 हजार 18 रू. तथा 2014-15 में 14 लाख 18 हजार 315 रू. खर्च किये गये है। उपलब्ध करायी गयी कोर्स पूरा करने वाले छात्र-छात्राओं की सूची के अनुसार सत्र 2011-12 मंे केवल 33 छात्र-छात्राओं, 2012-14 मंे 39, सत्र 2013-15 में 127, सत्र 2014-16 में 111 तथा सत्र 2015-17 में 122 छात्र-छात्राओं ने आई.आई.एम काशीपुर से कोर्स पूर्ण किया है।
श्री नदीम ने बताया कि इस सूचना से स्पष्ट प्रमाणित है कि जहां 2013 में कोर्स पूर्ण करने वाले 33 छात्रों के दीक्षान्त समारोह पर 36.11 लाख रूपये खर्च किये गये है वहीं 2016 में कोर्स पूर्ण करने वाले 111 छात्रों के दीक्षान्त समारोह पर केवल 1.32 लाख रूपये खर्च किये गये है। इससे खुद प्रमाणित है कि जो काम डेढ़ लाख रूपये से भी कम में हो सकता था उस पर 75 लाख 53 हजार रूपये तक खर्च किये गये है। यह स्पष्ट रूप से गरीब देश की आम जनता का मजाक है और इस पर पूर्ण रोक लगायी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी संस्थान के दीक्षान्त समारोह से कोई जनहित नहीं होता है। कोर्स पूरा करने पर छात्र-छात्राओं को सादे ढंग से भी प्रमाण पत्र दिये जा सकते है इसके लिये इतनी फिजूलखर्ची करने का कोई औचित्य नहीं है।