देहरादून। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व गढ़वाल सांसद भुवन चंद्र खंडूड़ी ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर सुमाड़ी (श्रीनगर गढ़वाल) में निर्माणाधीन एनआईटी में निर्माण एवं अन्य कार्यों में हो रहे विलम्ब पर रोष प्रकट करते हुए उच्चस्तरीय एवं समयबद्ध जांच की मांग की है।
पौड़ी सांसद ने अपने पत्र में कहा कि यह एनआईटी 2009 में स्वीकृत हुआ था। अक्टूबर 2013 में उत्तराखंड सरकार द्वारा स्थायी कैम्पस के निर्माण हेतु जमीन आवंटन कर दी गयी थी। तत्कालीन निदेशक, एनआईटी द्वारा रूचि न लेने के कारण लगभग पिछले आठ साल में भी कैम्पस का कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है। जिस कारण से क्षेत्रीय जनता समय-समय पर इस कैम्पस के पूर्ण न होने के कारण आंदोलन कर रही है।
पौड़ी सांसद ने यह भी लिखा कि एक कमेटी बोर्ड ऑफ गवर्नर द्वारा भवन निर्माण करने हेतु एवं अन्य कायरे के लिये गठित की गयी थी तथा कमेटी द्वारा एक फरवरी 2014 को कैम्पस स्थापित करने के लिए एवं सभी तरह के कायरे को करने हेतु नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन लिमिटेड को कार्य देने की स्वीकृति दे दी गयी थी। बोर्ड ने आर्किटेक्ट फर्म को मास्टर प्लान बनाने हेतु अपनी चौथी बैठक के दौरान स्वीकृति दे दी थी। एनआईटी के निदेशक ने नई दिल्ली में दिनांक 18 जुलाई 2014 को हुई कमेटी की छठी बैठक में बताया था कि स्थायी कैम्पस निर्माण के लिये कम्पाउंड वॉल का कार्य प्रारम्भ हो चुका है तथा भवनों का प्लान अंन्तिम चरण में है जिस पर कमेटी द्वारा 503.99 करोड़ रुपये, साइट डेवलपमेन्ट और कैम्पस के प्रथम चरण के निर्माण के लिये स्वीकृत किये गये।
आठवीं कमेटी की बैठक में निदेशक ने कमेटी को यह बताया कि बाउन्ड्री वॉल का कार्य 60 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है। निदेशक द्वारा बोर्ड को बताया गया कि सम्पूर्ण कैम्पस के निर्माण की लागत 1415 करोड़ रपए होगी। यह वास्तविक लागत से बहुत अधिक है। 11 वीं कमेटी की बैठक में एक पुनरीक्षित डीपीआर मानव संसाधन मंत्रालय को भेजी गयी परन्तु तीन अक्टूबर 2016 को हुई 12 वीं बोर्ड बैठक में पुनरीक्षित डीपीआर वापस ले ली गयी। इन सभी तयों को ध्यान में रखते हुए यह निष्कर्ष निकलता है कि अधिकतर बोर्ड बैठके दिल्ली या बेंगलुरू में आयोजित की गयी जिसमें एनआईटी निदेशक ने बोर्ड को भ्रमित किया गया तथा निदेशक द्वारा कैम्पस के स्थापित करने हेतु कोई रूचि नहीं ली गयी।
खंडूड़ी का कहना है कि यदि भूमि का चयन सही नहीं था तो बाउन्ड्री वॉल का कार्य क्यों प्रारम्भ किया गया। एनबीसीसी को कार्य क्यों दिया गया, पुनरीक्षित डीपीआर क्यों भेजी गयी और फिर क्यों वापस ली गयी। पौड़ी सांसद का कहना है कि उन्होंने इस विषय से 10 दिसंबर 2014 को तत्कालीन मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी को भी अवगत कराया गया था तथा दो मई 2016 को लोक सभा के शून्य काल में यह मामला उठाया था। इस विषय पर भारत सरकार द्वारा तत्कालीन निदेशक के विरुद्ध सीबीआई जांच की घोषणा भी की गयी परन्तु अभी तक यह जांच किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है। उनका कहना है कि उन्होंने इन्हीं बिन्दुओं पर पौड़ी सांसद द्वारा एक उच्च स्तरीय एवं समयबद्ध जांच कराने के लिए अनुरोध किया है तथा एनआईटी, सुमाड़ी के स्थायी कैम्पस के निर्माण का कार्य शीघ्र कराने हेतु अनुरोध किया है।