देहरादून। राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मंजू बहन ने कहा कि क्षमाशीलता स्वयं को दिया जाने वाला एक उपहार है जो प्रतिशोध के परित्याग से प्राप्त तनावमुक्ति का आनन्द देता है। उनका कहना था कि क्षमाशीलता इतना सहज नहीे लेकिन असम्भव भी नहीं है।
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय सेवाकेन्द्र सुभाष नगर देहरादून के सभागार में आयोजित, रविवारीय सत्संग में राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मंजू बहन ने ”क्षमाशीलता” विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि क्षमा करना अर्थात स्वयं बन्धनमुक्त होना। यदि हम क्षमा नहीे करते तो प्रतिशोध के कुचक्र में कैद होकर अपना ही अहित करते हैं। उन्होंने कहा कि बलवान की निशानी है क्षमाशीलता, कहते है कि बेवकूफ न तो कभी क्षमा करते हैं और ना ही कभी भूलते हैं। बुद्धिवान क्षमा भी करते हैं और भूल भी जाते हैं। उनका कहना था कि माफी माँगने वाला व्यक्ति शक्तिशाली होता है लेकिन माफी देने वाला व्यक्ति बहुत बलवान होता है। कमजोर व्यक्ति कभी माफ नहीं करता।
राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मंजू बहन ने कहा कि ”नाराजगी पर नियंत्रण“ जहर पीने जैसा लगता है लेकिन इससे बुरा करने वाले का मनोबल क्षीण होता है जोकि उसके लिए सबसे अधिक कष्टकारी है जब हम उसकी बुराई का उत्तर अच्छाई से दें। बुराई को अच्छाई में बदल डालें। उनका कहना था कि द्वन्द्व एवं बदले की भावना निरर्थक ही है इससे किसी को भी लाभ नहीं पहुँचता। क्षमाशीलता का गुण राजयोग से सहज ही धारण हो जाता है। इस अवसर पर वीणा, सुलक्षणा, ममता, कमला, मानसी, राकेश, आदित्य, ज्योत्सना, ब्रिजरानी, दीपक, पुष्पा, राजकुमार, वीरेंन्द्र, गोपाल, निधि, पुष्पा, प्रदीप, रेनू आदि मुख्य रूप से मौजूद थे।