गौ कथा द्वितीय दिवस
देहरादून। गौ महिमा का वर्णन करते हुए आचार्य सीता शरण ने कहा कि भारत में गौ सेवा की परम्परा सदियों से चली आ रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में गौ सेवा हर गाँव कि आर्थिकी का मुख्य जरिया हुआ करती थी, लेकिन जब से गाँव के लोगों ने गाय पालन छोड़ा है तब से पहाड़ के गांवों में पलायन की समस्या बढ़ी है।
परेड मैदान में चल रही गौ कथा के दूसरे दिन गौ कथा वक्ता आचार्य सीता शरण ने गौ महिमा के बारे में बताते हुआ कहा कि जब भारत के गांवों में भारतीय लोगों के मन में गाय के लिए स्थान था तब इस धरती पर खुद नारायण राम और कृष्ण बनकर गौ सेवा करने के लिए आये। उन्होंने बताया कि भारतीय गौ क्रान्ति मंच पिछले नौ सालों से पूरे देश में गौ महिमा कि अलख जगा रहा है। गौ को किसी धर्म या सम्प्रदाय से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि चाहे किसी भी धर्म का व्यक्ति क्यों न हो गाय का दूध सबके लिए अमृत का काम करता है। उन्होंने कहा कि गौ रक्षा के नाम पर आज देश में कुछ अप्रिय घटनाएं सामने आ रही है, लेकिन इन सब से गौ वंश की रक्षा सम्भव नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार को पहल करनी चाहिए कि पूरे देश में गौ रक्षा के लिए एक समान कानून बनाये जिसमे गौ हिंसा की कठोर सजा हो।
कथा व्यास आचार्य सीता शरण ने बताया कि गौ के दूध, गोबर, गौ मूत्र, दही और घी औषधीय गुणों से परिपूर्ण है। हिन्दू सनातनी संस्कृति में किसी भी संस्कार को गाय के बिना पूरा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आगामी 18 फ़रवरी 2018 को रामलीला मैदान दिल्ली में गौ माता को राष्ट्र माता के पद पर सुशोभित करने के लिए सरकार के सामने अपनी मांग रखेंगे। उन्होंने कहा कि इस विराट आयोजन में देश के कोने कोने से लाखों गौ भक्त देश की राजधानी में जुटेंगे। इस मौके पर भारतीय गौ क्रांति मंच देहरादून के संरक्षक सूर्यकांत धस्माना, मनोहर लाल जुयाल, अध्यक्ष बलवीर सिंह पंवार, संयोजक अजय पाल रावत, डॉ राम भूषन बिज्ल्वान, यमनोत्री मंदिर समिति के उपाध्यक्ष पवन प्रकाश उनियाल सहित कई लोग मौजूद रहे।