देहरादून। गुरु के दर्शन मात्र से मन की समस्त आधि-व्याधि और पीड़ा दूर हो जाती है वहीं मन स्फूर्ति और उमंग से भर जाता है क्योंकि निरंकार प्रभु का साकार स्वरूप सद्गुरु होता है, और सद्गुरु का स्वरूप दिव्य और अनन्त आकर्षण से युक्त होता है। उक्त उद्गार सन्त निरंकारी मण्डल के तत्वाधान में आयोजित रविवारीय सत्संग कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए चमोली जोन के जोनल इंचार्ज प्रताप सिंह चैधरी ने आयी हुई साध संगत को सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज का आर्शीवचन प्रदान करते हुए व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि गुरु की भक्ति और पूजा से जो परम विद्या प्राप्त होती है उसके मुकाबले में संसार के तमाम धन-वैभव और विद्या-कौशल छोटे पड़ जाते हैं; गुरु की पूजा में सम्पूर्ण समर्पण ही काम आता है। हमारे मन की तार हमेशा गुरु चरणों से जुड़ी रहे और हम समर्पित भाव से सदैव सद्गुरु की पूजा करते रहें, सद्गुरु की कृपा का आनन्द लेते रहें। उन्होंने कहा कि जो सतगुरू के चरणों में लग जाता है, वह अन्दर बाहर से एक हो जाता है। जब हम सतगुरू के ज्ञान के अनुसार आत्मनिरीक्षण करते है, तब हमें आनन्द की अनुभूति प्राप्त होती है, तब हम ज्ञान के सही मार्ग पर चल रहे होते है। हम बड़े भाग्यशाली है, जोकि हमें सन्तों-महात्माओं के बीच बैठकर परमात्मा का गुणगान करने व सुनने का अवसर प्राप्त हो रहा है।
उन्होंने कहा कि परमात्मा का बोध सतगुरू के ज्ञान से प्राप्त होता है, जो हमें जीवन जीने का सुन्दर तरीका सीखाते है। हमें मानवीय गुणों से भरपूर कर देता है। गुरू दिखावे-गुरू मनावे-गुरू ही प्यार सीखाता है। यह हमें सेवा-सुमिरन-सत्संग के द्वारा प्राप्त होते है। सत्संग समापन से पूर्व अनेकों प्रभु-प्रेमियों, भाई-बहनों एवं नन्हे-मुन्ने बच्चों ने गीतों एवं प्रवचनों के माध्यम से निरंकारी माता सुदीक्षा जी महाराज की कृपाओं का व्याख्यान कर संगत को निहाल किया। मंच का संचालन पूज्य विजय रावत जी ने किया।