देहरादून। शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के उद्देश्य से गेस्ट टीचर की नियुक्ति कर शिक्षकों की कमी दूर करने की सरकार की कोशिशों को झटका लग गया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा यथास्थिति बनाये रखने के आदेश के बाद विभाग ने नियुक्ति प्रक्रिया जहां तक पहुंची थी, वहीं रोक दी है। नियुक्ति प्रक्रिया रुक जाने से प्रदेश के हाईस्कूलों व इंटर कालेजों में तत्काल शिक्षकों की पूर्ति होने में विराम लग गया है।
विदित हो कि गेस्ट टीचरों की नियुक्ति मामलें को कुछ अभ्यर्थियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा इन नियुक्तियों पर यथास्थिति रखने के आदेश हुए। बताया जाता है कि अपीलकर्ताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट के आदेश को शिक्षा विभाग को रिसीव कराया गया। आदेश में यथास्थिति बनाये रखने के आदेश होने के बाद विभागीय अधिकारियों ने इस प्रक्रिया को यहीं रोकने का निर्णय लिया गया। हालांकि ज्यादातर जिलों में अभिलेख सत्यापन के साथ ही चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने की जानकारी मिली है, लेकिन स्कूल बंद होने की वजह से अभी अभ्यर्थियों ने ज्वाइन नहीं किया। ऐसे में अब तक की सारी एक्सरसाइज के बाद नियुक्ति का अंतिम चरण रुक गया है। उल्लेखनीय है कि शिक्षा विभाग द्वारा रिक्तियां घोषित होने के बाद एलटी के 834 पदों के लिए 20,770 अभ्यर्थियों व प्रवक्ता के 4076 पदों के लिए 46,513 अभ्यर्थियों ने ऑनलाइन आवेदन किया था। नियुक्ति प्रक्रिया रुक जाने से प्रदेश के हाईस्कूलों व इंटर कालेजों में तत्काल शिक्षकों की पूर्ति होने में विराम लग गया है। शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को देखते हुए प्रक्रिया को रोका गया है। उधर हरिद्वार के मुख्य शिक्षा अधिकारी ने सोमवार को ही यह प्रक्रिया रोकते हुए नियुक्तियां निरस्त कर दी थी।
नियुक्ति मामले में अतिथि शिक्षक संघ ही कोर्ट पहुंचा था कोर्ट
अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में अतिथि शिक्षक संघ ही कोर्ट पहुंचा था। संघ ने अतिथि शिक्षकों की संख्या घटाने का विरोध जताया था और पुराने लोगों को पहले लेने की मांग की थी। संघ ने पहले इस मामले को हाईकोर्ट में रखा था, लेकिन वहां उनकी अपील स्वीकार नहीं की गयी। संघ के अध्यक्ष राजेश ध्यानी की ओर से फिर सुप्रीम कोर्ट में यह रिट दायर की गयी। संघ ने इस बात पर विरोध किया था कि पूर्व में एलटी संवर्ग में अतिथि शिक्षकों के 1600 पद थे जबकि अब घटा कर 834 कर दिये गये हैं। इसके अलावा संघ की यह भी मांग थी कि पुराने लोगों को नियुक्ति में वरीयता दी जाए, जबकि सरकार ने इसके लिए मेरिट व अनुभव का फामरूला निकाला था। यह फार्मूला हाईकोर्ट के निर्देश पर निकाला गया था। ध्यानी के साथ ही अन्य अतिथि शिक्षा मित्रों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति सोमवार को ही सौंप दी थी। सचिव विद्यालयी शिक्षा के साथ ही न्याय विभाग और शिक्षा निदेशालय में आदेश की प्रति सौंपी गयी।