गौ कथा सुनने पहुंचे मुख्यमंत्री और भाजपा अध्यक्ष
देहरादून। परेड मैदान में गौ गंगा कृपाकांक्षी पूज्य गोपालमणि जी महाराज के सानिध्य में चल रही गौ कथा के चतुर्थ दिवस पर गोपालमणि जी महाराज ने कहा देश में आज सैकड़ों कत्लखानो में लाखों गौ रोज कट रही है। सबसे बड़ी बिडम्बना यह है कि इन कुकृत्यों में कुछ ऐसे भी लोग शामिल हैं जो खुद को हिन्दू कहते है और गौ हत्या का समर्थन भी करते है।
महराज जी ने कहा कि गौ ह्त्या का समर्थन करने वाले और गौ मांस खाने वाले को हिन्दू कहलाने का अधिकार नहीं है। समाज में ऐसे लोग का बहिष्कार होना चाहिए जो हिन्दू धर्म कि आड़ में गौ हत्या और गौ मांस खाने का समर्थन करते है। गौ महिमा का वर्णन करते हुए महराज जी ने बताया कि गौ भारत की संस्कृति का मूल आधार है। आज भी हिन्दू धर्म के सभी सोलह संस्कार बिना गौ माता के पूर्ण नहीं हो सकते। उन्होंने बताया कि आज देश में गौ रक्षा करने वालों को गुंडा कहा जा रहा है। सरकार को गौ रक्षा के नाम पर हो रही हिंसा तो दिख रही है लेकिन माता के साथ हो रही हिंसा नहीं दिख रही। इस देश में जब तक गौ के साथ हिंसा नही रुकेगी तब तक गौ माता के नाम पर हो रही हिंसक घटना भी नहीं रुक पाएंगी।
उन्होंने गाय के सामजिक और आध्यत्मिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जब इस देश में गौ के गोबर से खाद बनाकर खेतों में डाला जाता था तब इस देश के शिवाजी- हकीकत राय जैसे गौ भक्त पैदा होते है, लेकिन आज जब विदेशी रसायन से बनी खादों से उपजे अन्न से गौ माता के साथ हिंसा करने वाले पैदा हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस हिमालय कि दिव्य धरा से दो ऐसी शक्तियों ने जन्म लिया जो सनातन धर्म में मुक्ति की एकमात्र साधन हैं। हिमालय ने गौ और गंगा को इस दुनिया को दिया है लेकिन आज दुनिया वालों ने इन दोनों को रोने पर मजबूर कर दिया है। आज हमारे देश में ज्ञान-विज्ञान कि चर्चा होती है लेकिन ज्ञान विज्ञान के मूल स्त्र्रोत गौ ओर गंगा की कोई चर्चा नहीं करता।
उन्होंने बताया की गौ के ही मुख से गंगा का उदगम हुआ है इसलिए आज भी गंगा के उदगम को गौमुख कहा जाता है. इस मौके पर भारतीय गौ क्रांति मंच देहरादून के संरक्षक सूर्यकांत धस्माना, संरक्षक मनोहर लाल जुयाल, अध्यक्ष बलवीर सिंह पंवार, संयोजक अजय पाल रावत, डॉ राम भूषन विजल्वाण, यमनोत्री मंदिर समिति के उपाध्यक्ष पवन प्रकाश उनियाल, पंडित विपिन जोशी, मीडिया प्रभारी शैलेश नौटियाल सहित कई लोग मौजूद रहे.