डाॅक्टरों के मेडिकल ईथिक्स पर विशेषज्ञों ने किया मंथन

मेडिकल आचार-विचार पर दो दिवसीय CMI कार्यशाला का आयोजन
देहरादून। मरीजों को उपचार के दौरान डाॅक्टरों को मेडिकल उपचार के साथ साथ कुछ ईथिकल बातों का ध्यान भी रखना चाहिए। यह ईथिक्स डाॅक्टरों व मरीजों के बीच परस्पर सामंजस्य को और बढ़ाने का भी कार्य करते हैं। यह बातें श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल एण्ड हेल्थ साइंसेज़ (एसआरआरआईएमएण्डएचएस) में मेडिकल आचार विचार (ईथिक्स) पर इंटर्न डाॅक्टरों के लिए आयोजित दो दिवसीय निरंतर चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यशाला कार्यक्रम के पहले दिन विशेषज्ञों ने कही। सीएमई कार्यशाला शुक्रवार को भी जारी रहेगी।
सीएमई कार्यशाला का शुभारंभ एसजीआरआरआईएमएण्डएचएस के प्राचार्य डाॅ (प्रो0) अनिल कुमार मेहता के कर कमलों द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में प्राचार्य डाॅ अनिल कुमार मेहता ने इस सीएमई कार्यशाला के आयोजन के लिए संस्थान के चेयरमैन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज को प्रेरणास़्त्रोत बताया। उन्होंने कहा कि यह अति हर्ष व उत्साह का विषय है क उत्तराखण्ड आर्युविज्ञान परिषद (उत्तराखण्ड मेडिकल काउंसिल) इस सीएमई कार्यशाला को महत्व देते हुए 6 क्रेडिट प्वांइट्स दिए गए हैं। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए सीएमई कार्यशाला के आयोजनकर्ताओं विशेषतः डाॅ ललित वार्षणेय को बधाई देते हुए इसकी सफलता की शुभकामनाएं दीं।
चिकित्सा शिक्षा इकाई (मेडिकल एजुकेशन युनिट) के समन्वयक डाॅ पुनीत ओहरी ने सीएमई कार्यशाला में उपस्थित इंटर्न डाॅक्टरों का स्वागत करते हुए कहा कि यह उनके लिए आचार विचार (ईथिक्स) सीखने का स्वर्णिम अवसर है। विभागाध्यक्ष फार्माकोलाॅजी विभाग डाॅ अमनदीप सिंह ने मेडिकल शपथ (हिपोक्रेटिक शपथ, चरक शपथ, हेलंसिकी घोषणा व जिनेवा घोषणा) का डाॅक्टरों की कार्य प्रणांली के साथ के सम्बन्ध को रेखाकिंत किया। विभागाध्यक्ष, एफएमटी विभाग, डाॅ आर0के0 बंसल ने बताया कि डाॅक्टरों का मेडिकल आचार विचार (ईथिक्स) व आचरण वर्तमान परिदृश्य में कैसा होना चाहिए। उन्होंने बताया कि डाॅक्टरों को रोगी की गोपनीयता का सदैव सम्मान करना चाहिए व स्वयं की महिमा-मंडन से बचना चाहिए।


सीएमई कार्यशाला के मुख्य आयोजक व प्रोफेसर एफएमटी विभाग डाॅ ललित कुमार वाष्र्णेय ने डाॅक्टरों हेतु व्यावसायिक गोपनीयता व उसके खण्डों (क्लाॅसेज़) को समझाया। उन्होंने डाॅक्टरों व रोगियों के अधिकारों व दायित्वांे पर भी प्रकाश डाला। फार्माकलाॅजी विभाग के प्रोफेसर डाॅ एमए बेग ने रोगी द्वारा दी जाने वाली स्वीकृति के प्रकार, भागों, स्थितियों व नियमांे व कानूनी पहलुओं को समझाया। एसोसिएट प्रोफेसर मेडिसिन डाॅ सौरभ अग्रवाल ने जहर के सेवन अथवा साॅप के काटे हुए रोगी के आने पर डाॅक्टर के कर्तव्य व विस्तार पूर्वक समझाया। उन्होंने जानकारी दी कि ऐसे मामलों में डाॅक्टर को कब व कैसे सरकारी मशीनरी को सूचना देकर सचेत करना चाहिए। सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डाॅ एवी माथुर ने रोगी के साथ व्यवहार व सहानुभूति के आदर्श तरीके को समझाया। उन्होंने डाॅक्टरांे को रोगी व उसके परिजनों के साथ व्यवहार कुशलता के बारे में जानकारी दी। मनोरोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ शोभित गर्ग ने रोगी के तनाव को सम्भालने के डाॅक्टरी सिद्वांतों व कौशल के विषय मंे जानकारी दी।
स्त्री एवम् प्रसूति रोग विभाग की प्रोफेसर डाॅ अंजलि चैधरी ने एमपीटी-मेडिकल टर्मिनेशन आॅफ प्रेगनेंसी (गर्भावस्था की चिकित्सा समाप्ति) व आपराधिक गर्भपात के विषय मंे बताया। उन्होंने पीसी-पीएनडीटी एक्ट व कन्या भू्रण हत्या के विषय में जानकारी रखने व सजग रहने हेतु बताया। उन्होंने इंटर्न डाॅक्टरों से आग्रह किया कि कन्या भ्रूण हत्या की सामाजिक बुराई को रोकने में अपनी अहम भूमिका सुनिश्चित करें। इस सीएमई कार्यशाला में एसजीआरआरआईएमएण्डएचएस के 53 इंटर्न डाॅक्टरों ने प्रतिभाग किया। सीएमई कार्यशाला को सफल बनाने में विभागाध्यक्ष फिजियोलाॅजी डाॅ निधि जैन, प्रोफेसर एनाटाॅमी विभाग डाॅ शशि मुंजाल व एसोसिएट प्रोफेसर फार्माकोलाॅजी डाॅ शालू भाभा भी अहम भूमिका निभा रहे हैं।

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