देहरादून। राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मीना बहन ने कहा कि मनुष्यों में होने वाले तनाव के पीछे का एक कारण विषयों की अधिकता होना भी है। उनका यह भी कहना था कि तीन-पांच की बाते करना मुश्किल, जबकि एक को याद करना व जानना सहज है।
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विवि के स्थानीय सेवाकेन्द्र सुभाष नगर देहरादून के सभागार में आयोजित सत्संग में राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मीना बहन नेे वर्तमान समय मनुष्यों में होने वाले तनाव का एक कारण विषयों की अधिकता बताया। उन्होंने कहा कि आज एक बेचारी बुद्धि, अनेक प्रपंचों में फँसी हुई है । एक साथ कई कामों में उलझी हुई है। शायद इसी स्थिति को शास्त्रों में विषय सागर कहा गया है। ऐसे में मन को शांति कैसे मिले? उन्होंने कहा कि परमपिता परमात्मा शिव ने इस समस्या का सुंदर हल बताया है-समेटने की शक्ति और विस्तार को सार में समाने की शक्ति। एक प्रभु से सर्व संबंध जोड़ें और उन्हीं से सर्व प्राप्तियों की आशा व विश्वास रखें। इसे ही राजयोग कहा जाता है।
राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मीना बहन ने कहा कि यह समय है जब आवश्यकता है कि हम अनेकताओं को एकता में पिरोते जाएं। सूचना की बाढ़ में से ज्ञान के दीप बचा लाएं और सद्विवेक के मोती सहेज लाएं। अंतर्मुखता के गुण द्वारा बुद्धि को एकाग्र करने का अभ्यास करें। एक लक्ष्य निर्धारित करें। उनका यह भी कहना कि तीन-पाँच की बातें मुश्किल होती हैं, एक को याद करना, जानना सहज है। एक से एक जोड़ते जाएं और सफलता की सीढ़ी चढ़ते जाएं, तो एक तार को पकड़़, उसे सुलझाने से, अनेक उलझन और तनाव समाप्त होते जाएंगे। इस अवसर पर कमलेश, भुवि, प्रीति, सरस्वती, निर्मला, संतोष, शिखा, सत्येंद्र, चंद्रमोहन, रघुवीर, अनंत, लखीराम, मनसुख, अमरनाथ, अंकित आदि मौजूद रहे।