दिल के रोगी को मिला नया जीवन

हार्ट अटैक को समझा सामान्य दर्द, लापरवाही से मरीज़ की जान पर बन आई
देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल (एस.जी.आर.आर.) के हद्य रोग विशेषज्ञों की टीम ने एक मरीज़ को नया जीवन दिया है। ह्दय रोग के प्रति लापरवाही व जागरूकता के अभाव से मरीज़ की जान पर बन आई। काॅर्डियोलाॅजिस्ट व काॅर्डिय सर्जन ने सफल प्रोसीज़र कर मरीज़ को नई जिंदगी दी।
वीरेन्द्र सिंह (61) निवासी कोट, साडा गांव, कोट ब्लाॅक, जिला पौड़ी गढ़वाल पेशे से किसान हैं। जून के पहले सप्ताह उन्हें सीने में दर्द की शिकायत हुई। इसे सामान्य दर्द मानते हुए उन्होंने नज़रअदाज कर दिया व पेन किलर दवाएं ले लीं। लगातार दर्द रहने पर वह आगे का उपचार लेने 12 जून 2019 को श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल (एस.जी.आर.आर.) पहुंचे। डाॅक्टरों ने प्रारम्भिक जाॅच में पाया कि वीरेन्द्र सिंह को गम्भीर हार्ट अटैक पड़ा है। डाॅ अमर उपाध्याय ने मरीज़ की एन्जियोप्लास्टी की व दिल की नस में आए ब्लाॅक को खोला। एन्जियोप्लास्टी के 4 से 5 घण्टे तक मरीज़ सामान्य रहा, लेकिन अचानक उनका ब्लड प्रेशर गिरने लगा व बेहोशी छा गई। डाॅक्टरों ने सी0पी0आर0 दिया। आमतौर पर एन्यिोप्लास्टी के बाद मरीज़ में इस तरह के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। डाॅक्टरों ने दोबारा जाॅच में पाया कि मरीज़ के दिल के एक हिस्से की माॅसपेशी से रक्त का स्त्राव हो रहा है। मेडिकल साइंस में इसे “Blow Out Rupture of Left Ventricle” कहा जाता है।
डाॅ अमर उपाध्याय ने हार्ट के चैम्बर में कैथेटर डालकर देखा तो प्रेशर वेव फार्म देखकर हार्ट की बाहरी झिल्ली में ब्लड भरे होने का अंदेशा हुआ। यह इस बात का संकेत था कि दिल के किसी हिस्से में भारी गड़बड़ी है। काॅर्डियोलाॅजिस्ट डाॅ अमर उपाध्याय व उनकी टीम ने हार्ट की बाहरी झिल्ली में भरे ब्लड को अरजेंट पैरिकाॅर्डियो सेंटेसिस से निकाला व पाॅव की नस के रास्ते दोबारा मरीज़ के शरीर में चढ़ा दिया। ऐसा न करने पर मरीज़ के शरीर में खून की भारी कमी हो सकती थी। यह ह्दय रोगी के लिए बेहद जोखिम भरा प्रोसीज़र होता है। इस प्रोसीज़र के बाद मरीज़ का ब्लड प्रेशर धीरे धीरे सामान्य होने लगा। काॅर्डियक सर्जन डाॅ अशोक जयंत ने ओपन हार्ट सर्जरी कर दिल के उस हिस्से की माॅसपेशी को रिपेयर किया जहां से रक्तस्त्राव हो रहा था। आॅपरेशन के दौरान मरीज़ को 32 यूनिट खून चढ़ाना पड़ा। अब मरीज़ स्वस्थ है व एक-दो दिन में उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।

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