पत्थरों में तराशा रोजगार, सरकार को दिखाया आईना

रुद्रप्रयाग। पहाड़ों में स्वरोजगार, प्राकृतिक संसाधनों के सदुपयोग और परम्परागत निर्माण शैली को बढ़ावा देने के सरकार लाख दावे करती है, मगर इस बाबत सभी प्रयास महज प्रयास ही रह जाते हैं। ऐसे में केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने एक ऐसा उदाहरण पेश किया है, जो सरकार को आइना दिखा रहा है। उन्होंने साबित किया कि दृढ़ इच्छाशक्ति और ईमानदारी से कार्य किया जाय तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता है।
वर्ष 2013 में केदारनाथ में आये जल पल्रय से केदारघाटी का रोजगार खत्म हो गया है, जिसके बाद से पलायन भी तेजी से हुआ है। ऐसे में पलायन को रोकने और युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने एक नई शुरुआत की। उन्होंने सरकार के समक्ष इस बात को रखने से पहले मामले में स्वयं ही पैरवी की। उन्होंने क्यार्क, जोला, तालजामण, डांगी, अरखुण्ड आदि गांवों के पत्थर बनाने वाले करीब 12 स्थानीय कारीगरों का एक समूह बनाकर बड़ेथ गांव में पत्थर काटने की एक यूनिट अपनी विधायक निधि से स्थापित की है। यूनिट स्थापित करने के बाद पत्थर स्पेशिलिस्ट जगदीश रावत को चंडीगढ़ से बड़ेथ गांव में बुलाया। यूनिट लगने के बाद से ही काम शुरू हो गया है। केदारनाथ में आये जल पल्रय के बाद से केदारपुरी में कार्य किया जा रहा है और वहां पर पहाड़ी शैली के पत्थरों का उपयोग हो रहा है। ऐसे में स्थानीय कारीगरों की मदद लेकर स्थानीय लोगों को रोजगार देकर केदारपुरी के लिए पत्थरों को तरासने का कार्य किया जा रहा है।
केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने कहा कि केदारघाटी में ही मजबूत पत्थरों की भरमार है और यहां पहाड़ी निर्माण शैली के स्थानीय कारीगर मौजूद हैं। बावजूद इसके केदारनाथ को राजस्थानी सामग्री और शैली से क्यों संवारा जा रहा है? यह उनकी समझ से परे है। इस बात को सरकार को समझाने के वजाय उन्होंने स्वयं पहल करने की ठानी और विधायक निधि से बड़ेथ गांव में पत्थर काटने की एक यूनिट स्थापित की गई। इस यूनिट पर पत्थरों को काटकर डिजाइन दिया जा रहा है और इनका उपयोग धार्मिक और पर्यटक स्थलों के सौन्दर्यीकरण के निर्माण कायरे में करवाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में एक प्रस्ताव राज्य सरकार को भी भेजा जायेगा, ताकि केदारपुरी के पुनर्निर्माण में पहाड़ी शैली में काटे और तराशे गये इन स्थानीय पत्थरों का इस्तेमाल किया जा सके। उन्होंने बताया कि बसुकेदार क्षेत्र में पत्थरों की खान है। यहां के पत्थरों का उपयोग होने के साथ ही स्थानीय कारीगरों को रोजगार मिल सकता है।
विधायक रावत ने कहा कि बड़ेथ गांव में यूनिट के स्थापित होने से स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिला है और पलायन की समस्या को भी खत्म किया गया है। उन्होंने कहा कि केदारनाथ में आई आपदा के बाद से रोजगार की संभावनाएं खत्म सी हो गई हैं, ऐसे में केदारघाटी के बढ़ते पलायन को रोकने के लिए हर स्तर से प्रयास किये जा रहे हैं। जन समस्याओं के समाधान से लेकर रोजगार के विषय पर कार्य किया जा रहा है।

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