पृथ्वी पर पाई जाने वाली कुछ वनस्पतियां लुप्त होने के कगार पर

देहरादून। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग वर्तमान में एक ज्वलंत मुद्दा है और इसके निराकरण के लिए जैवविविधता का संरक्षण और बढ़ावा बहुत जरूरी है। इसमें मुख्य रूप से वनों का संरक्षण और उनका पुनरुद्धार भी आवश्यक है। यह सभी जानते हैं कि जंगल मनुष्य के लिए एक जीवन रेखा है और किसी भी कीमत पर इनका संरक्षण होना चाहिए जिससे कि पृथ्वी का प्रदूषण कम हो सके।
इसके लिए आम जन को उचित वैज्ञानिक जानकारी देना अति आवश्यक है जो कि शिक्षा के माध्यम से प्रभावी रूप से दी जा सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए विस्तार प्रभाग, वन अनुसंधान संस्थान देहरादून ने विभिन्न केन्द्रीय विद्यालयों से आए हुए 100 अध्यापकों और उनके कोर्स लीडरों के साथ एक विचार-विमर्श गोष्ठी का अयोजन किया। जिसमें जैव विविध संरक्षण तथा जलवायु परिवर्तन और इससे हो रहे नुकसान पर विस्तार से चर्चा की गई। सर्वप्रथम डा0 चरण सिंह, वैज्ञानिक-ई एवं प्रोग्राम समन्वयक ने गोष्ठी में उपस्थित सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया एवं संस्थान में हो रही अनुसंधान, विस्तार एवं शिक्षा संबंधी कार्यकलापों की जानकारी दी। डा0 अनूप चंद्रा, प्रमुख, वन वनस्पति प्रभाग ने जैवविविधता पर अपना व्याख्यान दिया जिसमें उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में पाई जाने वाली वनस्पतियो का जिक्र किया साथ ही बताया कि पृथ्वी पर पाई जाने वाली कुछ वनस्पतियां लुप्त होने के कगार पर हैं। इनका संरक्षण बहुत ही आवश्यक है क्योंकि पेड़ पौधों के बिना इस पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है।
डा0 एन.बाला, प्रमुख, वन पारिस्थितिकी एवं जलवायु परिवर्तन प्रभाग ने भी जलवायु परिवर्तन एवं इसके दुष्प्रभावों एवं निराकरण पर व्याख्ययान दिया। उन्होंने बताया कि देश के कई शहरों में प्रदूषण का स्तर खतरे से ऊपर हो गया है और इसका समाधान अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यह हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है कि वातावरण सुरक्षा की जानकारी आमजन तक पहुॅंचाई जाए और यह कार्य शिक्षा विभाग के माध्यम से आसानी एवं प्रभावी ढंग से किया जा सकता है और शिक्षक इसमें अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं। अध्यापकों के साथ कोर्स लीडर मनोज मलिक, श्रीमती तारा, वी.के. शर्मा, शिव कुमार, श्रीमती बिमला खाती और श्रीमती मेघानी ने भी गोष्ठी में भाग लिया। गोष्ठी सम्पन्न होने के बाद सभी प्रतिभागियों ने संस्थान संग्रहालयों का भ्रमण किया जहां उन्होंने अनुसंधान से संबंधित विभिन्न प्रकार के माॅडल देखे और वानिकी के बारे में जाना। विस्तार प्रभाग टीम जिसमें रमेश सिंह, सहायक और यथार्थ दुलगचा, एमटीएस आदि शामिल थे, गोष्ठी एवं भ्रमण को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।

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