देहरादून। हड़ताली कर्मचारियों से तंग आकर सरकार ने एक बार फिर से प्रदेश में हड़ताल पर पाबंदी लगा दी है। वर्ष 2013 में विजय बहुगुणा सरकार द्वारा हड़ताल करने वाले कर्मचारियों के लिए जारी किये गये आदेशों को फिर से लागू कर दिया गया है। इस आदेश के अनुसार काम नहीं तो वेतन नहीं का साफ ऐलान है। यही नहीं हड़ताल की अवधि को सेवा में व्यवधान माना जाएगा। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सोमवार को दोपहर बाद मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने एक आदेश जारी किया जिसमें 8 जनवरी 2013 को तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक कुमार जैन द्वारा जारी शासनादेश में निर्गत किये गये प्रतिबंधों का कड़ाई से अनुपालन करने के आदेश सभी अफसरों को दिये गये हैं। आदेश में कहा गया है कि कर्मचारी संगठनों द्वारा हड़ताल व कार्य बहिष्कार से सामान्य जनता को कई तरह की कठिनाई का सामना करना पड़ता है। यही नहीं इससे सरकार के द्वारा संचालित योजनाओं के क्रियान्वयन में भी विलंब होता है। हड़ताल राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली के तहत प्रतिबंधित है, इसलिए हड़ताल या कार्य बहिष्कार पर जाने वाले कार्मिकों को किसी भी सूरत में वेतन का भुगतान नहीं करने का आदेश दिया गया है। विभागाध्यक्षों व कार्यालयाध्यक्षों को निर्देश दिया गया है कि वे प्रत्येक माह की 24 तारीख को हड़ताल पर रहने वाले कर्मचारी का विवरण आहरण वितरण अधिकारी के माध्यम से कोषागार को उपलब्ध कराएं तथा हड़ताल पर रहने वाले कर्मचारी का वेतन भुगतान रुकवा दें। इसके साथ ही विभागाध्यक्ष व कार्यालयाध्यक्ष को यह भी आदेश दिये गये हैं कि कर्मचारियों की उपस्थिति की कड़ाई से जांच की जाए और यदि कोई कर्मचारी हस्ताक्षर करने के बाद काम नहीं करता है तो उसको भी हड़ताल में सम्मिलित मानते हुए कार्यवाही की जाए। हड़ताल करने वाले कार्मिकों को उस अवधि के बदले किसी तरह का अवकाश भी अनुमन्य नहीं होगा और उसे सीधे-सीधे सेवा व्यवधान मान लिया जाएगा। आदेश में यह भी कहा गया है कि हड़ताल या कार्य बहिष्कार की अवधि में अपरिहार्य परिस्थितियों को छोड़ सामान्य अवकाश स्वीकृत न करने के आदेश दिये गये हैं। इसके साथ ही हड़ताल की स्थिति में काम पर आने वाले कार्मिकों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करने के लिए भी आदेश में उल्लेख है। विभागाध्यक्ष व कार्यालयाध्यक्ष इस आदेश के पालन कराने के लिए पूर्ण रूप से उत्तरदायी होंगे।