न्यायालय ने राज्य सरकार से किया जवाब-तलब
नैनीताल/देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। एक बार फिर 2013 की केदारनाथ आपदा का जिन्न बोतल से बाहर आ गया है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को शवों का डीएनए टेस्ट करवाने की प्रक्रिया एवं प्रयोगशाला के नाम से अवगत कराने को कहा है। साथ ही इस मामले में अब तक उठाए गए सभी कदमों का व्यौरा भी तलब किया है। न्यायालय ने जवाब दाखिल करने के लिए राज्य सरकार को चार सप्ताह का समय दिया गया है।
दिल्ली निवासी अजय गौतम की एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश नारायण सिंह धनिक की संयुक्त खंडपीठ ने बुधवार को यह आदेश जारी किया। याचिकाकर्ता का कहना है कि आपदा के बाद केदार घाटी में करीब 4200 लोग लापता हो गए थे। इसमें से केवल 600 के कंकाल बरामद किए गए। इस तरह से अभी भी 3200 लोग केदारघाटी में दफन हैं। इन दफन शवों को खोजने एवं अंतिम संस्कार के लिए सरकार ने कोई ठोस पहल नहीं की है।इस मामले में पूर्व में न्यायालय ने राज्य सरकार को केदारनाथ घाटी में शवों को खोजने एवं अंतिम संस्कार करने के निर्देश दिए थे।
याचिकाकर्ता का आरोप है कि राज्य सरकार ने अब तक कोई कार्यवाही नहीं की है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि केदारघाटी में अभी भी शव मिल रहे हैं।याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि इन शवों की खोजबीन के साथ ही, मिलने वाले शवों का डीएनए टेस्ट करवा कर पीड़ित परिजनों को शव सौंपे जाए। मामले को गंभीरता से लेते संयुक्त खंडपीठ ने राज्य सरकार का जवाब तलब कर दिया है।