मानवता ही है सच्चा धर्म: निरंकारी सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज

देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)।  मानवता की माला प्रभु परमात्मा रूपी धागे के बिना बननी असंभव है। हम केवल इंसान है और पूरी मानवता के कल्याण के लिए है। निरंकारी मिशन, मानवता की सेवा, भक्ति-भाव से करता है। वह यह सेवा अपने सद्गुरु के द्वारा दिये गये ब्रह्मज्ञान को जीवन में अपना कर कण-कण में रमे हुए राम का हरपल एहसास करते हुए करता है।
निरंकारी सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने उत्तराखण्ड की मानव कल्याण यात्रा का प्रथम पड़ाव देेवभूमि उत्तराखण्ड में संत निरंकारी भवन, हरिद्वार बाईपास, देहरादून में हजारों की संख्या में उमड़े जनसैलाब को अपना पावन संदेश देते हुए कहा कि बाबा हरदेव सिंह जी महाराज ने जो प्यार यहां दिया है आज वही दिव्य नजारा आपकी गरिमामय उपस्थिति से नजर आ रहा है। बाबा जी ने हमेशा प्यार ही बांटा और प्यार ही करना सिखाया। हम इसी तरह से आपसी प्यार से बाबा जी के सपनों को साकार करें।
 
उन्होंने आगे कहा कि मानवता की सेवा जितनी भी की जाय बहुत कम है। आज संसार में अज्ञानता रूपी अंधेरा फैला हुआ है। इसी अज्ञानता के अंधेरे को ज्ञानरूपी उजाले से ही मिटाया जा सकता है। जैसे जला हुए एक दीपक से दूसरे को उजाला प्रदान कर सकता है। जब मनुष्य की बुद्धी, विवेक, चेतना, ब्रह्मज्ञान से जागृत हो जाती है तो फिर वह परोपकार में उपयोग होना प्रारम्भ हो जाता है। लड़ाई, झगड़े, सिखवे, शिकायत से दूर होकर दया, करुणा, प्रेम, नम्रता के दिव्य गुण को जीवन में प्रकट करने लगता है।
इस समागम को सफल बनाने में सेवादल के क्षेत्रीय संचालक एवं संचालकों के नेतृत्व में यातायात, पियाउ, पार्किंग, पब्लिकेशन, लंगर एवं पण्डाल की सेवाओं को हजारों की संख्या में सेवादल के भाई-बहनों ने सुन्दर रूप दिया। समागम का मुख्य आकर्षण का केन्द्र बिन्दु सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज का शुभागमन रहा। इस दिव्य नजारे में सद्गुरु के स्वागत में बालसंगत का बैंड आगे रहा है। जोनल इंचार्ज हरभजन सिंह एवं संयोजक कलम सिंह रावत ने सद्गुरु माता जी का स्वागत कर आभार प्रकट किया।
वहीं समागम में अनेकों समाज के गणमान्य व्यक्तिों का भी शुभ आगमन हुआ। जिन्होंने सत्संग का भरपूर आनन्द उठाया। समागम में विकास नगर, सेलाकुई, बालावाला, डोईवाला, ऋषिकेश, रुड़की, हरिद्वार, टिहरी, सहसपुर एवं आसपास के सभी संगतों ने भाग लिया। मंच संचालन विजय रावत  ने किया।

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