मेडिकल आचार-विचार पर सी0एम0ई0 कार्यशाला सम्पन्न

देहरादून। श्री गुरू राम राय इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल एण्ड हैल्थ साइंसेज में मेडिकल आचार-विचार (ईथिक्स) पर आयोजित दो दिवसीय कंटीनयुईंग मेडिकल एजुकेशन सी0एम0ई0 (निरंतर चिकित्सा शिक्षा) कार्यक्रम कार्यशाला आज अपने द्वितीय दिन के साथ सम्पन्न हो गई। असिस्टेंट प्रोफेसर, क्लीनिकल र्साइंसेज, मनोरोग विभाग, डाॅं0प्रीति मिश्रा ने युवा इंटर्न डाॅंक्टरों को तनाव से दूर रहने व भावनात्मक रूप से मजबूत रहने के उपाय सुझाए। उन्होंने इंटर्न डाॅंक्टरों का व्यक्तित्व मूल्यांकन भी सर्वे के माध्यम से किया।
विभागाध्यक्ष, मेडिसिन विभाग, डाॅं0 अमित वर्मा ने अपने व्याख्यान में बताया कि मानवाधिकार चिकित्सा के क्षेत्र में एक अहम भूमिका अदा करता है। इसका सीधा सम्बन्ध देश की विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं को जनसाधारण तक पहुॅचाने में एवम् विभिन्न स्तरों पर मानवाधिकारों के हनन को रोकने में भूमिका रखता है। वर्तमान परिवेश में विभिन्न प्रकार के उत्पीड़न व आतंकवाद सम्बन्धी हिंसा के वातावरण मंे समाज के लिए डाॅंक्टरों की अहम भूमिका देखी गई है। ऐसी स्थिति में डाॅंक्टरों का मानवाधिकार सम्बन्धी जिम्मेदारियों एवम् कर्तव्यों को समझना अति आवश्यक है। प्रोफेसर सर्जरी विभाग डाॅं0 जे0पी0शर्मा ने युवा इंटर्न डाॅक्टरों को ओ0पी0डी0 व भर्ती रोगियों के रिकार्ड को बनाने व रखने की आदर्श विधि को समझाया। उन्होंने इंटर्न डाॅंक्टरों को रोगियों के जारी किये जाने वाले विभिन्न प्रकार के प्रमाण-पत्रों जैसे मेडिकल प्रमाण-पत्र, मृत्यु प्रमाण-पत्र इत्यादि को बनाने की वैधानिक विधि के बारे में भी समझाया।
एसोसिएट प्रोफेसर, फाॅरनसिक मेडिसिन, डाॅं0 ज्योति बारवा ने युवा इंटर्न डाॅंक्टरों को समझाया कि जो मामले पुलिस केस होते हैं व उनके सम्बन्ध मेें डाॅंक्टरों के बयान दर्ज कराने के लिए न्यायालय में पेश होना पड़ता है तो डाॅक्टरों को क्या दस्तावेज तैयार करके अपने साथ ले जाने चाहिए व इस प्रकार अपने अस्पताल का पक्ष रखना चाहिए।
एसोसिएट प्रोफेसर, एनऐस्थीसिया विभाग, डाॅं0 रूबीना मक्कड़ ने इच्छा मृत्यु के विषय पर प्रकाश डाला। उन्होने बताया कि विश्व के कुछ देशों में लाईलाज व दर्दनाक बीमारियों से तड़पते रोगियों को इच्छा मृत्यु (इयूथेनेसिया) देने की कानूनन मान्यता है व डाॅंक्टर ऐसे रोगियों को वैधानिक विधि से इच्छा मृत्यु दे सकते हैं। उन्होंने बताया कि भारत में पैसिव इच्छा मृत्यु को न्यायालय ने सन् 2018 में ही मान्यता दे दी है। किसी भी रोगी को इच्छा मृत्यु देने के लिए पहले मेडिकल बोर्ड व न्यायालय से लिखित स्वीकृति डाॅंक्टर के लिए आवश्यक है। उन्होंने इंटर्न डाॅंक्टरों को समझाया कि अज्ञानतावश उन्हें गैर कानूनी तरीके से रोगियों को इच्छा मृत्यु देने से बचना चाहिए।
एसोसिएट प्रोफेसर, शिशु एवं बाल रोग विभाग, डाॅ0 श्रुति कुमार ने अपने व्याख्यान में बच्चों के शोषण के विषय में समझाया। उन्होंने बताया कि डाॅंक्टरों को किस प्रकार बच्चांे में हुए शोषण को पहचानना चाहिए व उसी के अनुसार उसका उपचार करना चाहिए।
प्राचार्य, एस0जी0आर0आर0आई0एम0एण्डएच0एस0, डाॅं0 प्रो0 अनिल कुमार मेहता ने एच0आई0वी0/एड्स के रोगियों के उपचार के दौरान ध्यान में रखे जाने वाले आचार-विचार (इथेक्स) को समझाया। उन्होंने कहा कि ऐसे रोगियों के बारे में गोपनीयता बनाये रखना डाॅक्टरों का परम उत्तरदायित्व है ताकि उनके सामाजिक जीवन व अन्य हितों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
सी0एम0ई0 कार्यक्रम कार्यशाला के समापन पर धन्यवाद ज्ञापन देते हुए मुख्य आयोजक व प्रोफेसर फाॅरनसिक मेडिसिन, डाॅं0 ललित कुमार वाष्र्णेय व समन्वयक (काॅंडिनेटर), चिकित्सा शिक्षा इकाई (मेडिकल एजुकेशन यूनिट), डाॅं0 पुनीत ओहरी ने कहा कि मेडिकल आचार-विचार (इथेक्स) पर आयोजित होने वाली उत्तराखण्ड में यह अपनी तरह की पहली सी0एम0ई0 कार्यशाला है। इस सी0एम0ई0 कार्यशाला ने युवा इंटर्न डाॅंक्टरों को मेडिकल इथेक्स सीखने का एक स्वर्णिम अवसर दिया है। उन्होने कहा कि मेडिकल आचार-विचार (इथेक्स) पर एस0जी0आर0आर0आई0एम0एण्डएच0एस0 द्वारा ऐसी सी0एम0ई0 कार्यशालाओं का आयोजन सीनियर डाॅंक्टरों हेतु ही किया जायेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *