देहरादून। पदम विभूषण डा0 मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि समाज में परिवर्तन रचनात्मक व हितकारी होना चाहिए। यह विंध्वासात्मक नहीं होना चाहिए। समाज में कन्सट्रक्टिव ट्रांसफाॅरमेशन या रचनात्मक परिर्वतन के तहत सामाजिक व नैतिक मूल्यों, मानव कल्याण, पर्यावरण संरक्षण, कुरीतियों या कमियों को सुधारने पर फोकस किया जाना चाहिए।
जौलीग्राण्ट स्थित स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय में प्रणव मुखर्जी फाउण्डेशन द्वारा आयोजित ‘‘शान्ति, सामंजस्य और प्रसन्नता के लिए परिवर्तनकाल से परिवर्तन’’ विषय पर आयोजित द्धि-दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए पदम विभूषण डा0 मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि आज वैज्ञानिक व तकनीकी परिवर्तन ने युवाओं के सामाजिक सम्बन्धों व भावनात्मक स्थिति पर गहरा प्रभाव डाला है। हम वर्चुअल दुनिया में अधिक जी रहे है। आज की पीढ़ी के आपसी संवाद या कम्युनिकेशन में मानवीय संवेदनाओं की कमी हो रही है यह अधिकाधिक डिजिटल, वर्चुअल व स्मार्टफोन पर निर्भर हो गया है। डा0 जोशी ने कहा कि मानवीय सम्बन्ध फंक्शनल होते जा रहे है। अब मानवीय सम्बन्ध इमोशनल नही रहे। मोबाइल की भाषा ने साहित्य, पुस्तकों व भाषाओं के महत्व को बदल दिया है। ग्लोबलाइजेशन का विस्तार हो चुका है। मानवीय संवेदनाओं में भी अस्थिरता आई है। आज की पीढ़ी भी नैतिक मूल्यों व सम्बन्धों की अस्थिरता में विश्वास करने लगी है। यह चिन्ताजनक है कि आज विश्व के विभिन्न देशों में हिंसा, तनाव, अक्रामकता, विषमताएं, अल्प मानव विकास, निम्न शैक्षणिक व पोषण स्तर व विभिन्न समस्याएं व्याप्त है। हमें मानव व पर्यावरण की आपसी निर्भरता को भी समझने की जरूरत है व पर्यावरण संरक्षण को गम्भीरता से लेना होगा। मात्र जीडीपी वृद्धि पर ध्यान नही देना होगा बल्कि सर्वागीण मानवीय विकास पर बल देना होगा। उन्होंने कहा कि मात्र तकनीकी के अन्धानुकरण को रोकना होगा। नेचर फ्रेण्डली टेक्नोलाॅजी को अपनाने की जरूरत है। सामाजिक व राजनैतिक व्यवस्था को भी पर्यावरणीय हितों के अनुरूप ढालना होगां आज हमें भारतीय संस्कृति के सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की अवधारणा को फिर से अपनाने की जरूरत है। इस अवसर पर सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।