देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राज्य के समग्र विकास के लिए आय के संसाधनों पर विशेष ध्यान देने को कहा है। उन्होंने आय के संसाधन उपलब्ध कराने वाले विभागों से आपसी समन्वय से साथ काम करने को कहा है। बृहस्पतिवार को सचिवालय में आय के संसाधनों में वृद्धि के लिए प्रमुख विभागों की कार्ययोजना तथा निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति से सम्बंधित बैठक में मुख्यमंत्री ने इसकी समीक्षा की। सीएम त्रिवेन्द्र ने प्रदेश की आर्थिक स्थिति को मजबूती के लिये आय के संसाधनो में वृद्धि पर ध्यान देने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिये। उन्होंने कहा कि आय के संसाधनों में वृद्धि से विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी आयेगी। उन्होंने प्रमुख रूप से आय के संसाधन सृजन वाले जिन प्रमुख विभागों की समीक्षा की उनमें स्टाम्प व रजिस्ट्रेशन्,स्टेट एक्साइज, स्टेट टैक्स/जीएसटी, परिवहन, ऊर्जा, वन एवं पर्यावरण व खनन के क्षेत्र प्रमुख थे। उन्होंने विभागों द्वारा निर्धारित लक्ष्यों के विपरीत इस वर्ष अब तक प्राप्त लक्ष्यों पर सन्तोष व्यक्त करते हुए इस दिशा में प्रभावी व कारगर प्रयास सुनिश्चित करने पर बल दिया। उन्होंने मुख्य सचिव से इस सम्बंध में विभागवार नियमित समीक्षा करने को कहा। मुख्यमंत्री ने प्रमुख वन संरक्षक से कुल वन क्षेत्र के वास्तविक आकलन तथा लीसा बिक्री पर विशेष ध्यान देने के निर्देश देते हुए कहा कि लीसा बिक्री न होने पर भी लीसा फैक्ट्रियों का संचालन कैसे हो रहा है, यह देखने की बात है। उन्होंने ट्रांजिट फीस पुननिर्धारण के साथ ही पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वन विभाग के अतिथि गृहों की आनलाइन बुकिंग सुविधा देने को कहा।खनन के आवंटित लाटों की जानकारी लेते हुए उन्होंने कहा कि सभी काम शुरू कराना शुनिश्चित कराया जाए। पांच हेक्टेयर से बड़े लाट्स पर खनन के लिये स्टेट इन्वायरमेंट एसेसमेंट आथरिटी के गठन भी जल्द करने को उन्होंने कहा। ताकि इन क्षेत्रों में भी समय से खनन शुरू हो सके। बैठक में मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव डॉ़रणवीर सिंह, सचिव श्रीमती राधिका झा, श्री अरविन्द सिंह ह्यांकी, अपर सचिव श्री वी़षणमुगम, डॉ़मेहरबान सिंह बिष्ट सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
राजस्व का सबसे बड़ा लक्ष्य जीएसटी पर
सचिव वित्त अमित नेगी ने बैठक में विभागवार आय के संसाधनों के लक्ष्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष के लिये स्टाम्प व रजिस्ट्रेशन के लिए 1200 करोड़ का लक्ष्य रखा गया है। जबकि आबकारी के लिए 2800 करोड़, सेल्स टैक्स/जीएसटी के लिए 9500 करोड़, परिवहन के क्षेत्र में 850 करोड़, ऊर्जा के क्षेत्र में 1200 करोड़, वन एवं पर्यावरण के लिए 500 करोड़ तथा खनन के लिए 750 करोड़ का लक्ष्य तय किया गया है।