देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कई दिन की चुप्पी के बाद प्रदेश सरकार पर हमला बोला। रावत ने सोशल मीडिया के माध्यम से प्रदेश सरकार को इस बात के लिए आड़े हाथ लिया है कि उसने बेरोजगारों पर तो लाठियां बरसा दीं और विधायकों का वेतन उम्मीदों से ज्यादा बढ़ा दिया।
सोशल मीडिया के माध्यम से रावत ने प्रदेश सरकार पर हमला बोला। रावत ने लिखा है ‘‘मुझे पता चला है कि सरकार ने विधायकों की तनख्वाह दोगुनी करने का निर्णय लिया है। पार्टी के अंदर बढ़ते हुए असंतोष को थामने के लिए लिया गया यह निर्णय, बेरोजगारों के साथ ही उपनल से लेकर दूसरे संघर्षरत तनख्वाहों के लिए तरसते हुए कर्मचारियों का अपमान है, जिनके ऊपर देहरादून में लाठीचार्ज हुआ है। उनके घावों पर नमक छिड़का गया है। गैरसैंण में बैठ कर एक उच्च चिंतन करने की बजाय एक भविष्य का खाका खींचने की बजाय आपने कुल मिलाकर के विधायकों की सैलरी हाई कर दी, तनख्वाह बढ़ा दी और बेरोजगारों के ऊपर लाठीचार्ज कर दिया। धन्य हो डबल इंजन।’
पूर्व मुख्यमंत्री ने विधानसभा के पटल पर प्रस्तुत कैग की रिपोर्ट पर भी टिप्पणी की है। कैग ने उपयोगिता प्रमाण पत्रों के लंबित होने पर आपत्ति जताई है, उत्तराखंड सहित सभी राज्यों में यह रोग विद्यमान है। उन्होंने लिखा है कि सामान्यत: यह विभागीय दायित्व है। मुख्य बजट 41930 करोड़ रुपया व अनुपूरक बजट 1498 करोड़ रुपया अर्थात कुल 43428 करोड़ के वित्तीय प्रावधान में से मात्र 573 करोड़ रुपया खर्च न हो पाने को उन्होंने अपनी सरकार की विफलता बताने पर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि मार्च 2017 के मध्य में आई नई सरकार ने आते ही सभी खचोर्ं को रोकने के आदेश जारी किये। इस राशि का अधिकांश भाग जिलाधिकारियों के पीएलऐ में डाला गया है, अब आप विचार करें कि हमारी सरकार या हमारा वित्तीय प्रबंधन कहां कसौटी पर खरा नहीं उतरा।
उन्होंने कहा है कि जहां तक राज्य आकस्मिकता निधि से अधिक धन निकालने का सवाल है, राज्य विधानसभा द्वारा मार्च 2016 में पारित बजट को राजभवन का अनुमोदन प्राप्त न होने के कारण पुन: विधानसभा आहूत की गई और पुन: बजट पास करवाया गया। जिसे विभागवार अवमुक्त होने में लगभग छह माह व्यर्थ चले गये। इस दौरान आवश्यक कार्य व विकास कार्य नहीं रुके, तब सरकार को इसके लिए आकस्मिकता निधि का सहारा लेना पड़ा और यह राज्य हित में जरूरी था।