देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राजपुर रोड स्थित स्थानीय होटल में भारतीय वन सेवा संघ उत्तराखण्ड के वार्षिक अधिवेशन का दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारम्भ किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस प्रकार के आयोजनो से विभागीय अधिकारियों द्वारा अपने अनुभवों को साझा करने व विभिन्न सम सामयिक विषयों पर चर्चा से सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। उन्होंने कहा कि विकास और पर्यावरण एक-दूसरे के पूरक है। इन दोनों विषयों के मध्य संतुलन बनाना जरूरी है। विकास कार्यों से होने वाली पर्यावरण की क्षति की क्षतिपूर्ति के लिए ठोस कार्ययोजना बनायी जानी भी जरूरी है। अधिकारियों को इस बारे में मंथन करने की जरूरत है कि किस प्रकार आम जनता के हितों के साथ ही पर्यावरण व वन्य जीवों के बीच संतुलन को बनाया जाए।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि पर्यावरण के संरक्षण के लिए जल का संरक्षण और संवर्द्धन करना भी समय की जरूरत है। भविष्य की जरूरत को ध्यान में रखते हुए वर्षा जल संरक्षण पर भी हमें ध्यान देना होगा। प्राकृतिक जल स्रोतों की अविरलता को बनाये रखने की दिशा में प्रयास करने होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सूर्यधार, सौंग व मलढूंग बांध से देहरादून को पूर्ण ग्रेविटी का पानी उपलब्ध कराने के लिए प्रयास जारी है। इन बांधों के बनने से प्रतिवर्ष लगभग सवा सौ करोड़ रूपये की बिजली की बचत होगी। पंचेश्वर बांध से उधम सिंह नगर को पूर्ण ग्रेविटी का पानी उपलब्ध कराने की योजना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वन सेवा से जुडे अधिकारियों को वनावरण को बढ़ाने के साथ मानव व वन्य जीव संघर्ष को कम करने की दिशा में भी पहल करनी होगी। खेती को वन्य जीवों से बचाने की भी हमारे सामने चुनौती है।
वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि जंगल व पर्यावरण को बचाने के लिए जनता का सहयोग जरूरी है। उत्तराखण्ड जंगल, नदियों व जीव-जन्तुओं के मामले में धनी राज्य है। इसमें वन विभाग के साथ जनता का भी महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन होना जरूरी है। इस अवसर पर प्रमुख वन संरक्षक श्री जयराज, के साथ ही श्रीमती नीना ग्रेवाल, श्री आर.के मिश्र, श्री एस.पी. सिंह व वन विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।