देहरादून। शिक्षा विभाग में नौकरियों की उम्मीद अब खत्म होती नजर आ रही है। कारण है सरकारी स्कूलों में घटती छात्र संख्या। सरकार ने शिक्षक-छात्र अनुपात का अध्ययन करके श्वेत पत्र जारी करने का निर्णय लिया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वास्तव में शिक्षकों की नयी नियुक्ति की आवश्यकता है कि नहीं।
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने मंगलवार को कहा कि वर्तमान में शिक्षा विभाग का ढांचा राज्य गठन से पहले के आधार पर चल रहा है। इसके साथ ही जो नये विद्यालय खुले, उनके साथ नये पद भी सृजित हुए। राज्य गठन के समय सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या काफी अधिक थी, पिछले वर्षो में सरकारी स्कूलों से छात्रों की संख्या घटी है और लोग पब्लिक स्कूलों की तरफ गये हैं। यही वजह है कि प्राइमरी स्तर पर 300 स्कूल बंद करने पड़े हैं और 299 और स्कूल कम छात्र संख्या की वजह से बंद होने की कगार पर हैं। हालांकि विभाग अभी इनका सत्यापन करा रहा है। माना जा रहा है कि शिक्षकों की कमी को लेकर हाईकोर्ट के कड़े रुख को देखते हुए सरकार ने इसका व्यापक अध्ययन करने का निर्णय लिया है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत शिक्षक-छात्र अनुपात को निर्धारित किया गया है। प्राइमरी स्तर पर 30 छात्र संख्या पर एक शिक्षक जरूरी है और उससे ऊपर दो शिक्षकों की जरूरत है। छात्र संख्या घटने की वजह से तमाम अन्य स्कूलों में भी मानक के अनुरूप शिक्षकों की आवश्यकता नहीं है। इसके साथ ही हाईस्कूल स्तर पर भी छात्र संख्या बहुत तेजी से घटी है।
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा कि वर्तमान में 989 हाईस्कूलों में से 287 में छात्र संख्या 50 से कम है, जबकि शिक्षक चार से अधिक तैनात हैं। इंटर कालेजों के भी यही हाल हैं। 1390 इंटर कालेजों में से 435 इंटर कालेज ऐसे पाये गये हैं, जहां छात्रसंख्या 100 से कम है। जबकि पूर्व में अधिक छात्र संख्या होने के कारण कई विषयों में दो या दो से अधिक शिक्षक एक ही इंटर कालेज में होते थे। ऐसी स्थिति में शिक्षा विभाग पदों का मानकीकरण करा रहा है, जिस हिसाब से सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या घटी है, यह माना जा रहा है कि वर्तमान में स्वीकृत पद मानकों से कहीं अधिक हैं। अध्ययन के बाद जारी होने वाले श्वेत पत्र में यदि ये बातें सामने आयी तो शिक्षा विभाग में नई नौकरियों की उम्मीद धूमिल हो जाएंगी।