देहरादून। तदर्थ शिक्षकों को 10 साल के चयन वेतनमान के बाद वेतन से वसूली के मामले को राजकीय शिक्षक संघ ने सचिव विद्यालयी शिक्षा भूपिंदर कौर औलख के सामने रखा है।
शिक्षकों को हो रहे नुकसान के इस मामले को लेकर संघ के प्रांतीय अध्यक्ष केके डिमरी, प्रांतीय महामंत्री डा. सोहन सिंह माजिला, गढ़वाल अध्यक्ष रवींद्र राणा व कुमाऊं मंडल अध्यक्ष कृपाल सिंह मेहता सचिव विद्यालयी शिक्षा से मिले। इस बात पर संघ ने आपत्ति जतायी है कि जब पूर्व में चयन वेतनमान के लिए तदर्थ की सेवाएं भी जुड़ती रही हैं तो इससे शिक्षा बंधुओं को क्यों वंचित किया जा रहा है। संघ ने कहा कि इसमें 2013 में विनियमित हुए शिक्षा बंधु नुकसान उठा रहे हैं। उन्हें विनियमितीकरण से पहले की सेवाओं का लाभ चयन वेतनमान में नहीं दिया जा रहा है। गत 8 दिसंबर को जारी हुए एक शासनादेश के बाद यह स्थिति आयी है। इसमें कहा गया है कि विनियमितीकरण के बाद 10 साल की सेवाएं पूरी होने के बाद ही चयन वेतनमान मिलेगा और तदर्थ की सेवाएं इस सेवाकाल में नहीं जोड़ी जाएंगी।
संघ ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि पूर्व में बिलकुल इसके उलट था। तब 10 साल के बाद मिलने वाले चयन वेतनमान में तदर्थ की सेवाएं भी जुड़ जाती थी। लेकिन दिसंबर के इस आदेश से करीब एक हजार शिक्षकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। सचिव शिक्षा भूपिंदर कौर औलख ने संघ से पूरी पत्रावली लाने के लिए कहा, उसके बाद ही इन शिक्षकों के प्रकरण को हल करने का आश्वासन दिया। संघ ने रमसा के शिक्षकों के दो महीने के बकाया वेतन को लेकर भी सचिव से वार्ता की।