सदन चलाने में पक्ष-विपक्ष का अहम योगदान: प्रेमचंद, विघायी पत्रकारिता में विश्वसनीयता बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती: मुन्ना, सदन में शोर-हंगामा करना कभी कभार विपक्ष की मजबूरी: काजी, उत्तरांचल प्रेस क्लब सदस्यों के लिए कल्याण कोष की भी की गई लांचिग
देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। जनता व सरकार के बीच मीडिया सेतु का काम करता है। एक तरफ से मीडिया राजनेताओं और सरकार के लिए खुराक है। क्योंकि प्रत्येक दिन की शुरूआत मीडियो की तरफ से सामने लाए जाने वाले समाचारों से होती है। लेकिन मीडिया की यह जिम्मेदारी भी बनती है कि कभी कभार सदन के भीतर सत्र के समय माहौल उत्तेचित होने पर उसे समाचार तो बनाए। लेकिन सनसनी बनाने से बचे। क्योंकि मीडिया की तरफ से प्रकाशित होने वाले समाचारों पर जनता की विश्वसनीयता होती है।
यह बात बृहस्पतिवार को उत्तरांचल प्रेस क्लब की ओर से हिंदी पत्रकारिता दिवस पर विधायी पत्रकारिता और पत्रकार विषय पर आयोजित कार्यशाला में विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने कहीं। इससे पूर्व उन्होंने उत्तरांचल प्रेस क्लब सदस्यों के हेतु कल्याण कोष की लांचिग भी की। उन्होंने विधानसभा में मीडियो की भूमिका के विषय में बोलते हुए कहा कि सदन में दोनों पक्षों को साथ लेकर चलना होता है। क्योंकि सदन अगर सुचारू रूप से चलता है, तो इसके लिए सत्ता और विपक्ष के विधायकों की जनता की समस्याओं के प्रति उनकी गंभीरता दिखती है। उन्होंने कहा सदन चलाने में दोनों पक्षों का योगदान अहम होता है। साथ ही सदन की कार्रवाई को मीडिया की तरफ से बेहतर तरीके से उजागार करना होता है। उन्होंने कहा सदन में कभी पक्ष और विपक्ष को अलग नजर से नहीं देखा जाता है। प्रश्नकाल और शून्यकाल में सदन में विधायकों का बोलने का पूरा मौका दिया जाता है। हालांकि प्रश्नकाल में कुछ प्रश्नों के सत्ता विपक्ष की तरफ से संतोषजनक जवाब न मिलने पर व्यवधान उत्पन्न होता है। लेकिन उसके बाद भी प्रयास किया जाता है कि शून्यकाल में अताराकित प्रश्नों को रखा जाए। उन्होंने कहा सदन की कार्रवाई को जनता तक पहुंचाने में मीडिया का रोल काफी अहम है।
वघायी
पत्रकारिता पर बोलते हुए विधायक विकासनगर मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि विघयी पत्रकारिता में विश्वशनीयता का संकट आ गया है। सदन में कई विषय इस तरह के होते है जिन में सावधानियां बरती जानी चाहिए। लेकिन अभिव्यक्ति की आजादी के चलते इसकी विश्वसनीयता बनाए रखना मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि सदन में कई सवालों को अध्यक्ष पीठ कार्रवाई में शामिल नहीं करते। इस स्थिति में इस तरह के मामलों में संवेदनशीलता की जरूरत होती है। इसका मीडिया को भी ख्याल रखना चाहिए। क्योंकि पत्रकारिता भले ही स्वतंत्र है। लेकिन सदन में विघायी पत्रकारिता करते समय पत्रकारों को भी संयम बनाए रखना चाहिए।
सदन में विपक्ष की भूमिका के बारे में बोलते हुए विधायक मंगलौर काजी निजामुद्दीन ने कहा कि सदन में विपक्ष की पहचान शोर मचाना, हंगामा करना और कागज फड़ाने की हो गई है। मीडिया में इसे काफी प्रमुखता से लिया जाता है। लेकिन क्या वास्तव में विपक्ष हमेशा शोर मचाने, हंगामे करने और कागज फाडऩे का ही काम करता है। उन्होंने कहा इसके लिए मीडिया भी कही न कही जिम्मेदार है। सदन में मुद्दों पर बात करने पर किसी भी समाचार पत्र में जनहित के सवाल को जगह नहीं दी जाती है। लेकिन हंगामें की खबरें अखवारों की सुर्खिया बन जाती है। उन्होंने सदन में कई बार शोर मचाना,
हंगामा करना, वाकआउट करना और बेल में धरने पर बैठना विपक्ष की मजबूरी बन जाती है। लेकिन सदन में जनहित के मुद्दों पर कोई सनुवाई न होने पर विपक्ष को यह सब करना पड़ता है।
उन्होंने विपक्ष का काम लोकतांत्रिक व्यवस्था में गलत होने से रोकना होता है। सिर्फ विरोध के नाम पर विरोध करना नहीं होना चाहिए। क्योंकि कभी कभार अखवारों की सुर्खियां बंटोरने के लिए सदन
में कुछ नेता हंगामा करते है। जिस कारण जनता से जुड़े सवाल हल नहीं हो पाते है। उन्होंने कहा इसके लिए मीडिया में बदलवा लाने की जरूरत है। यदि मीडिया सदन में जनहित के मुद्दों और सवालों को प्रमुख् ाता से उठाए, तो सदन में होने वाला अनावश्यक हंगामा स्वयं बंद हो जाएगा। इस अवसर पर उत्तरांचल प्रेस क्लब के अध्यक्ष विकास धूलिया और महामंत्री संजय घिल्डियाल ने विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, विधायक मुन्ना सिंह चौहान व विधायक काजी निजामुद्दीन को स्मृति चिन्ह भेंट किए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में पत्रकार, छात्र-छात्राएं मौजूद थे।