देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। मानुष जन्म किसलिए मिला है और इसकी क्या अहमियत है? इसकी विशेषता क्या है? इन्सान को यह समझ सद्गुरु की कृपा से प्राप्त होती है। जब ब्रह्म की अनुभूति होती है। उक्त उद्गार सन्त निरंकारी भवन में संत्सग समारोह को सम्बोधित करते हुए ब्रांच संयोजक कलम सिंह रावत ने सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज का पावन संदेश देते हुए व्यक्त किये।
उन्होंने भक्ति के मर्म पर प्रकाश डालते हुए अपने विचारों में कहा कि गुरु गोविन्द और शिष्य का अटूट रिश्ता है। जिन्होंने गुरु की मानी उन्हीं को गोविन्द प्राप्त हुआ है। जिन्होंने गुरु की नही मानी उन्हें आज भी गोविन्द प्राप्त नही हुआ है। गुरु की कृपा ही हमें अंधरे से प्रकाश की ओर ले जाती है जिससे हमारा जीवन सफल होता है। उन्होंने कहा कि निरंकारी मिशन में अप्रैल और मई के महीने की बड़ी अहमितता है। 24 अप्रैल को ‘मानव एकता दिवस’ मनाता है। गुरु सिख गुरु को रिझाने के लिए गुरु के आदेशों-उपदेशों को जीवन में अपनाता हुआ विश्व को प्रेम, नम्रता, सहनशीलता, एकत्व का संदेश देता है।
उन्होंने आगे कहा कि जब सद्गुरु खुश होता है तो सेवा देता हैं और गुरुसिख का गुरु के प्रति प्यार और समर्पण ही उसके जीवन का ध्येय बन जाता है। उसका हर कर्म गुरुमत के अनुसार होता है। जिससे वह सद्गुरु को रिझा पाये फिर उसके लिए ये सारा संसार ही अपना परिवार बन जाता है। उसके हृदय में प्यार इस कदर भर जाता है कि किसी नकारात्मक भाव का कोई स्थान ही नही रहता। फिर गुरुसिख की भी वही अवस्था हो जाती है और गुरुसिख गुरु के साथ इकमिक हो जाता है।
सत्संग समापन से पूर्व अनेकों प्रभु-प्रेमियों, भाई-बहनों एवं नन्हे-मुन्ने बच्चों ने गीतों एवं प्रवचनों के माध्यम से निरंकारी माता सुदीक्षा जी महाराज की कृपाओं का व्याख्यान कर संगत को निहाल किया। मंच का संचालन अमित भट्ट ने किया।