देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। सद्गुरू के बिना ब्रहमज्ञान की प्राप्ति सम्भव नहीं है। सद्गुरू के बिना मानव अपने इस अमूल्य जीवन की पहचान नहीं कर पाता। यह विचार संत निरंकारी भवन, हरिद्वार बाईपास रोड़ के तत्वावधान में आयोजित सत्संग कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए स्थानीय संयोजक कलम सिंह रावत ने व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि संत महापुरूष युगांे-युगों से इंसान को यही आवाज देते आ रहे है कि जिस परमात्मा को हम अलग-अलग नामों से पुकारते है, वह एक ही है। सद्गुरू हमें इसी एक निराकार से जोड़कर हमारे इस जीवन को बंधनों से मुक्त करता है। सद्गुरू हमें ज्ञान के साथ बोलचाल और व्यवहार में प्रेम, नम्रता तथा मिलवर्तन सिखाता है। उन्होंने सत्गुरू माता सुदीक्षा सविन्दर हरदेव जी के पावन संदेश को देते हुए आगे कहा कि ब्रहमज्ञान बोलने या सुनने की वस्तु नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने की कला है। ब्रहमज्ञान को मन में धारण करके ही हम इस जीवन यात्रा को सुख के साथ तय कर सकते है।
श्री रावत ने कहा कि आदिकाल से ही संत महापुरूष हमे इसी ज्ञान की प्राप्ति के लिए प्रेरित कर रहे है। ब्रहमज्ञान से ही प्रेम, नम्रता और सहनशीलता के भाव प्राप्त होते है। उन्होंने कहा कि जिस मनुष्य ने इन भावों को अपने मन में धारण किया, वहीं इस निराकार परब्रहम को पा लेता है। उन्होंने कहा कि सद्गुरू ही हमें जड़-चेतन में निराकार परब्रहम के दर्शन कराकर इसके अंग-संग होने का बोध कराता है।
श्री रावत ने कहा कि जब इस ज्ञान का प्रकाश हमारे मन में वास करता है, तो मन के सारे अंधकार दून हो जाते है, तब मानव हर किसी प्राणी मात्र को निराकार का साकार रूप समझकर प्रेम करता है। ऐसी अवस्था को प्राप्त होने पर मन के सारे भ्रम दूर हो जाते है। उन्होंने कहा कि आज का मनुष्य संसार की माया, ऐशो-आराम को ही सुख मानता है, जबकि परमात्मा से जुड़कर ही हम परम आनंद को पाते है। सत्संग कार्यक्रम में अनेकों संतों ने गीतों एवं विचार के माध्यम से भावनाओं को व्यक्त किया। मंच संचालन रवि ने किया।