देहरादून। सरकार के स्तर पर चल रही कवायद को देखते हुए अगले शिक्षा सत्र से फीस पर नियंत्रण लगना तय दिख रहा है। सरकार ने एक्ट का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए कमेटी का गठन कर दिया है और जल्द ही एक्ट पास करके इसका रास्ता साफ हो जाएगा। मनमानी करने वाले स्कूलों पर मान्यता समाप्त करने जैसी कठोर कार्रवाई की जाएगी। सोमवार को शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय की अध्यक्षता में शिक्षा विभाग के आला अफसरों की एक बैठक हुई। बैठक में फीस को नियंत्रित करने के लिए एक्ट ड्राफ्ट कमेटी के साथ ही दो और कमेटियां भी बना दी गयी हैं। ये कमेटियां फीस से संबंधित शिकायतों की जांच करने के साथ ही स्कूल प्रबंधन की दलीलें भी सुनेंगी। एनसीईआरटी की किताबें लागू करने के फैसले पर जनता की ओर से आये जबरदस्त समर्थन व हाईकोर्ट से भी पक्ष में फैसला आने के बाद निजी स्कूलों की लूट पर अंकुश लगाने के लिए सरकार को साहस मिला है।बैठक में अरविंद पांडेय ने विभागीय अधिकारियों के सामने अपने इरादे स्पष्ट कर दिये। इस बैठक के बाद फीस रेगुलेशन एक्ट का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए एक कमेटी का गठन भी कर दिया गया है। ड्राफ्ट बनाने के लिए गठित कमेटी में अपर सचिव एवं महानिदेशक शिक्षा के साथ ही निदेशक शिक्षा आरके कुंवर, अपर निदेशक भूपेंद्र नेगी, अंबा दत्त बलोदी, आनंद भारद्वाज, उप सचिव महिमा के साथ ही प्रदीप जोशी भी शामिल किए गए हैं। इस प्रस्तावित एक्ट का नाम उत्तराखंड सेल्फ फाइनेंस इंडिपेंडेंट स्कूल (रेगुलेशन आफ फी) एक्ट होगा। आज की बैठक में एक्ट ड्राफ्टिंग कमेटी के साथ-साथ दो और समितियां भी बनायी गयी। जनपद स्तरीय कमेटियों में जिलाधिकारी, मुख्य शिक्षा अधिकारी, जिलाधिकारी द्वारा नामित चार्टर्ड अकाउंटेंट, लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता और जिलाधिकारी द्वारा नामित कोई अभिभावक व जिलाधिकारी द्वारा नामित किसी निजी स्कूल के प्रबंधक या प्रधानाचार्य को शामिल किया गया है। कमेटी का कार्यकाल दो साल होगा। जो फीस अधिक वसूलने जैसी शिकायतों की सुनवाई करेगा और स्कूलों की दलीलें भी सुनेंगे। जनपदस्तरीय रेगुलेटरी कमेटी को अधिकार होगा कि वह गलतियां पायी जाने पर स्कूलों पर अर्थदंड लगाये। स्कूलों को सत्र शुरू होने से तीन माह पहले ही अपनी फीस का ब्योरा जनपदीय कमेटियों को देना होगा। जनपदस्तरीय कमेटी द्वारा लगाये गये अर्थदंड के लिए राज्य स्तरीय स्टेट अपीलेंट अथॉरिटी में अपील की जा सकेगी। इस कमेटी में सचिव विद्यालय शिक्षा, शिक्षा निदेशक, शिक्षा सचिव द्वारा नामित चार्टर्ड अकाउंटेंट, लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता, सचिव द्वारा नामित कोई अभिभावक और सचिव द्वारा ही नामित किसी विद्यालय के प्रबंधक या प्रधानाचार्य शामिल होंगे। समिति को एक महीने के भीतर प्रकरण को निस्तारित करना होगा। ताकि स्कूल प्रबंधक सत्र प्रारंभ होने से पहले ही अपने विद्यालयों के शुल्क का विवरण वेबसाइट पर अनिवार्य रूप से अपलोड कर सकें। कोई भी विद्यालय अग्रिम के रूप में शुल्क की वसूली नहीं कर सकेगा, साथ ही विद्यालय अपने परिसर में कोई व्यावसायिक गतिविधि संचालित नहीं करेंगे। स्कूलों द्वारा ड्रेस बदलने के लिए भी जिलास्तरीय समिति के अनुमोदन की आवश्यकता होगी।