नैनीताल। सरकार को एक बार फिर लगा जोर का झटका लगा है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण मामले में राज्य सरकार के दून के 60 गांवों को देहरादून नगर निगम में शामिल करने की अधिसूचना को निरस्त कर दिया है। यह अधिसूचना 25 अक्टूबर 2017 को जारी की गई थी। यह आदेश बुधवार को देहरादून निवासी कुल¨वदर सिंह बोरा की एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक न्यायाधीश राजीव शर्मा एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवाड़ी की संयुक्त खंडपीठ ने जारी किया है। इसमें याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि 60 गांवों को सरकार ने तानाशाहीपूर्ण ढंग से शामिल किया है। चूंकि इन गांवों में अधिकतर वन भूमि के हैं। इससे सरकार खुद ही वन भूमि में अतिक्रमण कराने एवं पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही है।याचिका में कहा कि सरकार की ओर से अधिसूचना जारी करने से पूर्व नियमों का भी पालन नहीं किया गया है। सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद संयुक्त खंडपीठ ने दून जिले के 60 गांवों को देहरादून नगर निगम में शामिल करने का नोटिफिकेशन निरस्त कर दिया है। इससे ग्रामीणों के साथ ही तमाम जनप्रतिनिधियों ने भी राहत की सांस ली है। जबकि इन क्षेत्रों से पार्षद बनने का सपना देख रहे नेताओं को जोर का झटका लग गया है।