राज्य के सभी अस्पतालों में जांच की दरें समान रखने के निर्देश
नैनीताल। उच्च न्यायालय ने क्लीनिकल स्टेब्लिसमेंट एक्ट का पालन न करने वाले अस्पतालों को सील करने के आदेश दिये है। साथ ही राज्य के सभी अस्पतालों में जांच की दरें समान रखने और सभी सरकारी तथा गैर सरकारी चिकित्सकों को पर्ची में मरीज की बीमारी का नाम व दवा अंकित करने को भी कहा गया है। हाईकोर्ट ने क्लीनिकल स्टेब्लिसमेंट एक्ट को लेकर दायर हिमालयन मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल जौलीग्रांट व सिनर्जी हस्पिटल की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी हैं।
दोनों याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट द्वारा विगत 14 अगस्त 2018 को पारित आदेश पर पुनर्विचार की मांग की थी। हाईकोर्ट ने इस आदेश में राज्य के सभी अस्पतालों में जांच की दरें समान होने व क्लीनिकल स्टेब्लिसमेंट एक्ट के विपरीत चल रहे सभी अस्पतालों को सील करने के आदेश दिए थे। शुक्रवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवाड़ी की संयुक्त खंडपीठ के समक्ष पुनर्विचार याचिका की सुनवाई हुई। खंडपीठ ने दोनों याचिकाओं को खारिज करते हुए राज्य के सभी डाक्टरों को निर्देश जारी कर दिए हैं। न्यायालय ने अपने निर्देश में स्पष्ट कहा है कि अब सरकारी, सार्वजनिक एवं प्राइवेट क्लीनिक के डाक्टरों द्वारा मरीज को दी जाने वाली पर्ची में बीमारी व दवा का नाम कम्प्यूटर से अंकित करना होगा। इससे आम मरीज अपनी बीमारी व उससे सम्बंधित दवा के बारे में आसानी से जान सकेगा।
खंडपीठ ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि डाक्टर मरीज को दवा देते वक्त ब्रांडेड दवा के बजाय जेनेरिक दवाएं ही लिखें। सुनवाई के दौरान सरकारी अधिवक्ता ने अदालत को अवगत कराया कि राज्य के सभी डाक्टरों को कम्प्यूटर, ¨पट्रर आदि सामग्री तत्काल उपलब्ध कराया जाना सम्भव नहीं है। लिहाजा उनको समय दिया जाए। इस तर्क से सहमत न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिए कि इस आदेश को लागू करने में कम से कम समय लिया जाए। इसके साथ ही खंडपीठ ने पूर्व में अवैध ढंग चलने वाले चिकित्सालयों को सील करने के आदेश का एक बार फिर सख्ती के साथ अनुपालन करने के लिए सरकार को निर्देशित कर दिया है। इसके अलावा कोर्ट ने सरकार से विभिन्न मेडिकल जांचों व परीक्षणों के दाम भी तय करने को भी कहा था।
न्यायालय ने यूएसनगर में अवैध ढंग से चल रहे दो चिकित्सालयों की सुनवाई के बाद ये आदेश जारी किया था। ये दो अस्पताल बाजपुर के दोराहा स्थित बीडी अस्पताल व केलाखेड़ा स्थित पब्लिक हॉस्पिटल हैं। इनके खिलाफ अभी तक कोई कार्यवाही अमल में नहीं लायी गयी है। कोर्ट ने आश्र्चय व्यक्त किया कि इन दोनों अस्पतालों के पास न तो विशेषज्ञ चिकित्सक मौजूद थे और न ही चिकित्सालय संचालन के लिए उचित अनुमति व पंजीकरण उपलब्ध था। इसके बावजूद बिना डिग्री व विशेषज्ञ चिकित्सकों के मरीजों के आपरेशन किये जा रहे थे। मौके पर जांच टीम को ऐसे दस मरीज भर्ती मिले, जिनके आपरेशन किये जाने थे। यही नहीं वहां कार्यरत चिकित्सकों के पास न तो एमबीबीएस व न ही सर्जरी की डिग्री मौजूद थी। यह जनहित याचिका बाजपुर निवासी अख्तर मलिक की ओर दायर की गई थी।