काशीपुर के लिए 29 सदस्यीय सी0पी0यू0 स्वीकृत
देहरादून/काशीपुर। उत्तराखंड में सी0पी0यू को कोई अतिरिक्त अधिकार नहीं है उनके भी उपनिरीक्षक या इससे उच्च पुलिस अधिकारी द्वारा ही चालान किया जा सकता है। इसमें शामिल कर्मियों के विरूद्ध अन्य पुलिस कर्मियों के समान ही कार्यवाही हो सकती है। सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को पुलिस मुख्यालय द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से यह खुलासा हुआ है।
सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक कार्यालय से उत्तराखंड मे लागू सी0पी0यू0 व्यवस्था के सम्बन्ध में 14 बिन्दुओं पर सूचना मांगी। इसके उत्तर में पुलिस मुख्यालय उत्तराखंड के लोक सूचना अधिकारी/सहायक पुलिस महानिरीक्षक (प्रशिक्षण) एन0एस0 नपलच्याल ने सूचना उपलब्ध करायी है। उपलब्ध सूचना के अनुसार सी0पी0यू की स्थापना यातायात जाम की समस्या के साथ-साथ सड़कों पर होने वाले अपराधों पर अंकुश लगाये जाने के लिये अस्थाई रूप से की गयी है। 19 नवम्बर 2013 के पुलिस महानिदेशक के आदेश से सर्वप्रथम देहरादून शहर में सी0पी0यू0 तैनात की गयी। वर्तमान में देहरादून, हरिद्वार, रूड़की, रूद्रपुर, हल्द्वानी शहरों में यह तैनात है तथा काशीपुर में सी0पी0यू0 का गठन किये जाने की कार्यवाही चल रही है। इसकी स्वीकृति के उपरान्त अपर पुलिस महानिदेशक, अपराध एवं कानून व्यवस्था के पत्र दिनांक 9 मार्च 2018 से पुलिस महानिरीक्षक कुमाऊं क्षेत्र से सी0पी0यू0 यूनिट हेतु 01 निरीक्षक 13 उपनिरीक्षक, 2 हैड कांस्टेबिल तथा 13 कांस्टेबिलों की नियुक्ति हेतु सशस्त्र व नागरिक पुलिस बल से नामों की सूची उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गये है।
उपलब्ध सूचना में स्पष्ट किया गया है कि सी0पी0यू0 भी उत्तराखंड पुलिस का ही अंग है। इनके प्रमुख कर्तव्य यातायात व्यवस्था बनाये रखना, स्ट्रीट क्राइम/चैन स्नेचिंग पर नियंत्रण तथा यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन चालकों के विरूद्ध प्रवर्तन की कार्यवाही करना है। अन्य पुलिस के हैड कांस्टेबिल तथा कांस्टेबिलों के समान इसमें नियुक्त हैड कांस्टेबिल व कांस्टेबिलों को चालान या शमन करने का अधिकार नहीं हैं। सी0पी0यू0 में नियुक्त उपनिरीक्षकों को भी अन्य उपनिरीक्षकों के समान चालान करने व मौके पर शमन करने का अधिकार है। मौके पर शमन न होने पर चालान सम्बन्धित क्षेत्राधिकारी/न्यायालय को प्रेषित किया जाता है।
श्री नदीम को सी0पी0यू0 सहित सभी पुलिस अधिकारियों द्वारा शमन करने सम्बन्धी शुल्क की दरों का शासनादेश सं0 614 दिनांक 9 अगस्त 2016 की फोटो प्रति भी उपलब्ध करायी है। इसके अनुसार बिना नम्बर प्लेट के मोटर वाहन चलाना, बिना हैलमेट के वाहन चलान, बिना सीट बैल्ट के वाहन चलाने पर सौ-सौ रूपये, शारीरिक व मानसिक रूप से अक्षम होने की हालत में वाहन चलाने पर दो सौ रूपये, मोटर वाहन खतरनाक प्रकार से चलाना/चलती वाहन में चालक द्वारा मोबाइल का प्रयोग करने पर एक हजार रूपये तथा कानून के अनुसार दिये गये निर्देशोें का पालन न करने या असत्य सूचना देने या छिपाने के लिये 500 रू. का शमन शुल्क वसूला जा सकता है।
श्री नदीम को उपलब्ध सूचना में स्पष्ट किया गया है कि अन्य पुलिस कर्मियों के समान ही सी0पी0यू0 में नियुक्त रहते हुये पद का दुरूपयोग, भ्रष्टाचार, कर्तव्य के प्रति लापरवाही का कार्य करने पर सम्बन्धित के विरूद्ध उत्तराखंड पुलिस अधिनियम 2007 की धारा 85 के अन्तर्गत विभागीय/कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।
श्री नदीम ने बताया कि पुलिस अधिनियम की धारा 85 में पुलिस अधिकारियों द्वारा कर्तव्यों की उपेक्षा, अवैध हिंसा, नशे की हालत सहित 9 कार्यों में से किसी के भी करने पर तीन माह के वेतन के बराबर तक जुर्माने या तीन माह की जेल या दोनों की सजा का प्रावधान है। इसके लिये शिकायत सम्बन्धी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पुलिस उपनिरीक्षक, महानिरीक्षक या पुलिस महानिदेशक को की जा सकती है। इनके द्वारा कार्यवाही न करने पर इसकी शिकायत राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण तथा मानवाधिकार हनन का मामला होने पर राज्य या राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी जा कसती है।