नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें राष्ट्रीय योग नीति बनाने और देशभर में पहली से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए योग अनिवार्य करने की मांग की गई है। न्यायमूर्ति एम बी लोकुर की अगुआई वाली पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि ऐसे मुद्दे पर सरकार फैसला कर सकती है। पीठ ने कहा, हम यह कहने वाले कोई नहीं हैं कि स्कूलों में क्या पढ़ाया जाना चाहिए। यह हमारा काम नहीं है। हम कैसे इस पर निर्देश दे सकते हैं। न्यायालय ने कहा कि उसके लिए ऐसी राहत देना संभव नहीं है जो याचिका दायर करने वाले वकील और दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता अश्वनी कुमार उपाध्याय तथा जे सी सेठ ने मांगी है। न्यायालय ने कहा, स्कूलों में क्या पढ़ाया जाना चाहिए यह मौलिक अधिकार नहीं है। उपाध्याय ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय, एनसीईआरटी, एनसीटीई और सीबीएसई को यह निर्देश देने की मांग की थी कि वे जीवन, शिक्षा और समानता जैसे विभिन्न मौलिक अधिकारों की भावना को ध्यान में रखते हुए पहली से आठवीं कक्षा के छात्रों के लिए योग और स्वास्य शिक्षा की मानक किताबें उपलब्ध कराए। उच्चतम न्यायालय ने गत वर्ष केंद्र से कहा था कि वह याचिका को एक अभिवेदन की तरह ले और इस पर फैसला करे।