देहरादून। उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र देहरादून द्वारा श्री गुरू रामराय विश्वविद्यालय देहरादून और विज्ञान भारती उत्तराखंड के सहयोग से द्वितीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सम्मेलन के अंतिम दिन अध्यापक सम्मेलन का आयोजन- स्मार्ट इको क्लबः एक प्रबल पर्यावरणीय संभावना विषय पर हुआ। इस अध्यापक सम्मेलन में उत्तराखंड के 13 जनपदों के 65 राजकीय स्कूलों के अध्यापक शामिल थे। इन स्कूलों में यूसर्क और शिक्षा विभाग मिलकर स्मार्ट इको क्लबों का गठन कर रहा है।
यूसर्क निदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने विज्ञान शिक्षा के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे यूसर्क कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए कहा कि हम डिजिटल वोलेटिंयर, मेंटरशिप कार्यक्रम, ज्ञान कोष पोर्टल और ए-व्यू तकनीकी के बारे में बताया कि कैसे यह कार्यक्रम हमारे छात्रों हेतु उपयोगी हैं। उन्होंने स्मार्ट इको क्लबों के गठन की परिकल्पना का ब्यौरा देते हुए कहा कि हमारी कोशिश होगी कि हम विज्ञान की समस्त उपलब्ध तकनीकी और प्रौद्योगिकी को पर्यावरण से जोड़कर अपने छात्रों और घर गांवों की मदद से अपने बिगड़ते पर्यावरण संतुलन को बचाने हेतु सकरात्मक योगदान दें। उन्होंने उम्मीद की कि यूसर्क और शिक्षा विभाग के अध्यापक और छात्र मिलकर स्मार्ट इको क्लब की अवधारणा को मिलकर जमीन पर उतारकर उत्तराखंड हेतु एक नया माॅडल तैयार करेंगे।
सम्मेलन के मुख्य अतिथि वन विभाग के सेवानिवृत मुख्य वन संरक्षक डा. आर.बी.एस. रावत ने कहा कि यूसर्क के साथ शिक्षा, विज्ञान, अनुसंधान सब कुछ जुड़ा है, इसलिए यूसर्क जैसे वैज्ञानिक शिक्षा संस्थानों की जिम्मेदारी भी बहुत ज्यादा है। उन्होंने अपनी पढ़ाई और वनसेवा के अनुभवों को अध्यापकों के साथ बांटते हुए कहा कि आप अपनी मौलिकता, अपने स्वाभिमान, मेहनत, सभ्यता, संस्कृति और सि़द्धांतों से कभी कोई समझौता ना करें। आप उत्तराखंड के लोग अपनी भूमि के सम्मान व गरिमा को फिर से जिंदा करने हेतु हर वह प्रयास करें जिसकी आज इस देवभूमि को जरूरत है। आज उत्तराखंड के लोग देश में बड़े-बड़े पदों पर कायम हैं। उन्होंने कहा कि आप किसानों और जवानों की पीड़ा को समझते हुए अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को समझें।
शिक्षाविद् व कृषि विज्ञानी प्रो. एस.एस.रावत ने कहा कि समाज की मुख्य समस्या पर्यावरण संरक्षण है। सभी आयोजक इसके लिए बधाई के पात्र हैं। इस पर्यावरणीय प्रयास के दूरगामी परिणाम सामने आएंगे। आज पलायन की समस्या को रोका जा सकता है यदि हम पर्यावरण को रोजगार से जोड़कर किसी टिकाऊ मांॅडल को खोज सकें। विज्ञान भारती के डा. महेश भट्ट ने बताया कि पर्यावरण और स्वास्थ्य को जोड़ते हुए हमें कैसे आगे बढ़ना होगा? क्योंकि पर्यावरण बहुत महत्वपूर्ण है। पर्यावरण मानव के शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। यह एक दूरगामी प्रयास है क्योंकि पर्यावरण सीधे-सीधे सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक समस्याओं से जुड़ा है। इसलिए स्वास्थ्य को बचाने हेतु हमें अपने पर्यावरणीय असंतुलन और प्रदूषण की समस्याओं से निबटने हेतु सजगता से काम करना होगा।
देश में ब्रहमोस व अग्नि जैसे रक्षा परियोजनाओं पर काम करने वाले भारतीय नेवी के वाईस एडमिरल ओ.पी. राणा ने कहा कि आज जरूरत सिर्फ इको क्लब बनाने की नहीं है बल्कि इस तरह के कार्यक्रम को सही प्लानिंग कर धरातल पर उतारकर ईमानदारी से क्रियान्वयन करने की भी है। श्री गुरू रामराय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पी.पी.ध्यानी ने कहा कि हम उत्तराखंड के लोगों की यू.एस.पी. है मेहनत करके गरिमा का अहसास करना। मेरा निवेदन है कि आप बच्चों के मुंह से सुनें कि पर्यावरण क्या है, क्यों प्राकृतिक आपदा में बढ़ोतरी हो रही है, क्यों प्रदूषण बढ़ रहा है? जब आप बच्चों को अपनी कार्ययोजना में शामिल करेंगे तभी यह ईको क्लब सही मायने में ईको क्लब साबित होंगे प्रकृति के संरक्षण हेतु।
तकनीकी सत्र में ईको क्लब कार्यक्रम की कार्यप्रणाली पर अध्यापकों से बात करते हुए मैती आंदोलन के प्रणेता कल्याण सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड की पर्यावरण संरक्षण में खास पहचान है। यह पर्यावरणीय प्रयोगों की धरती है। आज उत्तराखण्ड में प्राकृतिक आपदाएं बढ़ रही हैं। प्राकृतिक संतुलन डगमगा रहा है। सो नई पीढ़ी को पर्यावरण संरक्षण हेतु जागरूक करना जरूरी है। ओम जोशी ने डिजिटल तकनीकी टूल की जानकारी दी कि कैसे यह स्मार्ट इको क्लब काम करेंगे। आई.आई.टी. मुंबई के रमन वर्मा एवं टीम ने प्रौद्योगिकी आधारित नवाचारों के बारे में जानकारी दी। यूसर्क के इको क्लब प्रभारी डा. राजेन्द्र राणा ने अध्यापकों से सहयोग की अपेक्षा की।
सम्मेलन में बच्चों द्वारा लगाई गई खेती किसानी प्रदर्शनी में हिमगिरी विश्वविद्यालय, डी.बी.एस पी.जी. कालेज, एम.के.पी. कालेज के छात्रांें को प्रथम द्वितीय तृतीय पुरूस्कार दिया गया। साथ ही तीन विशिष्ट अध्यापकों जमुना प्रसाद, लक्ष्मण सिंह, चंदन सिंह नेगी तथा सांस्कृतिक संध्या के बच्चों को विशिष्ट पुरूस्कार दिया गया। सम्मेलन में नौला फांउडेशन, कल्पतरू, माटी संस्था के प्रतिनिधियांे सहित मितेश्वर आनंद़, डा. ए.के. सक्सेना, डा. सुजाता, कुसुम रावत, डा. उपमन्यु, अनुराधा ध्यानी, डा. मंजू सुंदरियाल, डा. भवतोष शर्मा, डा. राजेन्द्र राणा, डा. अंकिता, डा. वेद, आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन यूसर्क वैज्ञानिक डा. ओम प्रकाश नौटियाल ने की।