स्वयं को जानना ही ब्रह्मज्ञान : नृपेश तिवाड़ी

देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। ब्रह्मज्ञान से ही जीवन का कल्याण संभव है। स्वयं को जानना ही ब्रह्मज्ञान है जो सद्गुरु के चरणों में अर्पित होने से प्राप्त होता है। परमपिता-परमात्मा की जानकारी सद्गुरु की कृपा से होती है यह जानकारी ही ब्रह्मज्ञान है। उक्त उद्गार संत निरंकारी सत्संग भवन, हरिद्वारा रोड बाईपास, देहरादून में आयोजित रविवारीय सत्संग कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पौड़ी गढ़वाल से पधारे संयोजक नृपेश तिवाडी ने आई हुई साध संगत को सद्गुरु माता सुदीक्षा सविन्दर हरदेव जी महाराज का पावन आशीर्वाद देते हुए व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि ‘गुरु का वचन ही ज्ञान होता है और मन से गुरु के इस वचन को जीवन का आधार बनाकर सर्वशक्तिमान ईश्वर निरंकार प्रभु को प्राप्त किया जा सकता है। जब तक ज्ञान नहीं होता तब तक मनुष्य, मनुष्य नही होता। जैसे कोई वस्तु अगर हमारे पास हो, तब भी हम उसका लाभ नहीं उठा सकते, अगर उस वस्तु का मोल बताने वाला हमें उसके बारे में बता दें तो हमारे मन में खुशहाली आ जाती है। उन्होंने आगे कहा कि मनुष्य जीवन में ईश्वर को प्राप्त करना है तो सद्गुरु के वचानुसार सेवा करनी होगी। सद्गुरु की सेवा ही भक्ति है और भक्ति से ही ईश्वर निरंकार प्रभु परमात्मा को रिझाया  जा सकता है। सद्गुरु की भक्ति ही एक मात्र उपाय है जिससे मनुष्य अपना लोक एवं परलोक सुखी कर सकता है।
इस धरती पर स्वर्ग लाना है तो हमें मिल-जुलकर रहना होगा, गिरते को उठाना होगा। अगर कोई रो रहा है तो उसके आंसू पोंछकर उसे खुशी देने होगी और मिल-जुलकर हम तभी रह पाएंगे जब हम अपने दिल को विशाल बनाएंगे। सद्गुरु की कृपा से ही इस सर्वशक्तिमान परमात्मा से नाता जुड़कर ही मनुष्य का हृदय विशाल बनता हैं। सत्संग समापन से पूर्व अनेकों संतों, भक्तों ने अपनी-अपनी भाषा का सहारा लेकर सत्संग को निहाल किया। मंच संचालन सचिन पंवार जी ने किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *