हाईकोर्ट शिक्षकों के पद रिक्त होने पर नाराज

नैनीताल। प्रदेश भर के सभी स्तर के सरकारी स्कूलों (प्राथमिक से लेकर माध्यमिक) में अध्यापकों की भारी कमी पर नैनीताल उच्च न्यायालय ने गंभीर रुख अपना लिया है। न्यायालय ने सात अगस्त तक स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए लोक सेवा आयोग एवं अधीनस्थ चयन आयोग का जवाब तलब कर लिया गया है। जबकि सरकार ने मान लिया है कि तमाम प्रयास के वाबजूद राज्य में एलटी एवं प्रवक्ता के हजारों पद खाली हैं। यही नहीं आयोग ने 18 माह से पहले नियुक्ति करने से हाथ खड़े कर दिए हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खण्डपीठ ने सोमवार को यह निर्देश अल्मोड़ा जिले के मासी गाँव निवासी गोपाल दत्त और स्याल्दे निवासी महेंद्र गिरी की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए जारी किया है। इसमें दोंनों नियुक्ति एजेंसी के साथ ही सरकार से नियमित अध्यापकों की नियुक्ति के लिए अभी तक क्या कदम उठाये गए कदमों के बारे में जानकारी देने को कहा गया है। जबकि आज सुनवाई के समय महािवक्ता ने बेहद साफगोई से स्वीकार किया है कि तमाम विद्यालयों में अध्यापकों की कमी है। जबकि नियमित अध्यापकों मामले के लोक सेवा आयोग व अधीनस्थ चयन आयोग का कहना है कि रेगुलर अध्यापकों की नियुक्ति में अभी कम से कम 18 माह का समय लग जायेगा। इस बीच सरकार का कहना है कि छात्रों के हित को देखते हुए गेस्ट टीचरों का कार्यकाल बढ़ाया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि एक आंकड़े के आधार पर प्रदेश में एलटी अध्यापकों के 3022 पद खाली हैं। इसमें 1489 प्रवक्ताओं के पद खाली हैं जबकि 1361 गढ़वाल एवं 1485 कुमाऊं में एलटी के पद खाली चल रहे हैं।

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