देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत बुधवार, 6 मार्च को परेड़ ग्राउण्ड में “युवा उत्तराखण्ड-उद्यमिता एवं स्वरोजगार की ओर” कार्यक्रम का शुभारम्भ करेंगे। कार्यक्रम में प्रदेश भर से 10,000 से अधिक विभिन्न क्षेत्रों के युवा भागीरदारी करेंगे। कार्यक्रम में राज्य एवं देश में उपलब्ध स्वरोजगार एवं रोजगार के अवसरों से सम्बन्धित जानकारी उपलब्ध करायी जायेगी, साथ ही राज्य के युवाओं को स्वरोजगार हेतु प्रेरित किया जायेगा। 50 प्रमुख उद्यमियों को भी आमंत्रित किया गया है जो युवाओं की काउंसिलिंग कर रोजगार से जोड़ने में मदद करेंगे, जिससे स्वंय का उद्यम स्थापित करने के इच्छुक युवाओं को उचित मार्गदर्शन मिलेगा। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश की विशेषताओं/आवश्यकताओं के दृष्टिगत 12 क्षेत्र चिन्हित किये गये हैं जिनमें निवेश की प्रबल सम्भावनाओं के साथ आगामी वर्षों में स्वरोजगार एवं रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे।
प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन और सहयोग से, राज्य के युवाओ को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने कि दिशा मे भी नये कीर्तिमान स्थापित हुए हैं. मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, “सभी युवाओं को रोजगार” के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के सपने को उत्तराखंड मे साकार करने मे कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. और यही कारण है कि आज “युवा उत्तराखंड-रोजगार एवं उद्यमिता की और” कार्यक्रम का शुभारम्भ किया जा रहा है.
प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से उत्तराखण्ड में पहली बार 7, 8 अक्टूबर, 2018 को आयोजित इन्वेस्टर्स समिट ने रोजगार के अनगिनत अवसरों के द्वार खोल दिये। मार्च, 2019 तक साढ़े बारह हजार करोड़ रुपए के निवेश प्रोजेक्ट धरातल पर उतर रहे हैं। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण और संसाधनों से भरपूर राज्य उत्तराखण्ड मे अवसरों के असंख्य भण्डार मौजूद है। इससे उत्साहित होकर सैकड़ों निवेशकों ने उत्तराखण्ड में रुचि ली। नीतिगत तौर पर निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल बनाते हुए राज्य की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने एक महीने में 5 कैबिनेट करके निवेशकों के सुझाव के आधार पर बनाई गयीं 10 नई नीतियों कें फल्स्वरूप 1 लाख 24 हजार करोड़ के एमओयू साइन किए, जिससे करीब 3.5 लाख रोजगारपैदा होंगे। 40 हजार करोड़ का निवेश अकेले राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों मे होगा।
उत्तराखंड के tourist destinations देश ही नहीं विदेशो मे भी प्रसिद्ध हैं। राज्य मे पलायन रोकने और रोजगार के अवसर उप्लब्ध कराने मे पर्यटन का सबसे बड़ा योगदान है। इसीलिये पर्यटन को उत्तराखंड के लोगों की आजीविका का मुख्य स्रोत बनाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने पर्यटन को उद्योग का दर्जा तो दिया ही है, साथ ही 13 जिलों में 13 नए थीम बेस्ड पर्यटन डेस्टिनेशन भी बनाये जा रहे हैं। साथ ही 5 हजार होम स्टे बनाने का लक्ष्य है जिनमें से 802 नए होम स्टे बनाए जा चुके हैं। सभी होम स्टेज को घरेलू दरों पर बिजली दी जा रही है। साहसिक पर्यटन को लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों जैसी सुविधाएं दी जा रही है। पर्यटन में निवेश हेतु ₹15,388 करोड़ के एमओयू साइन किये जा चुके है। मसूरी व केदारनाथ धाम को भी जल्द रोपवे से जोड़ दिया जायेगा। इन निवेशों तथा सरकार की नीतियों के कारण राज्य मे स्वरोजगार को बढ़ावा मिल रहा है।
उत्तराखण्ड को फिल्म शूटिंग का बेस्ट डेस्टिनेशन बनाने के उद्देश्य से पहली बार कोई मुख्यमंत्री फिल्मकारों के बीच सीधी बातचीत के लिए पहुंचा, उत्तराखण्ड की फिल्म पॉलिसी से राज्य मे शूटिंग को बड़ा प्रोत्साहन मिला। परिणाम यह हुआ कि फिल्मों व टीवी सीरियल की शूटिंग से हजारों स्थानीय लोगों को रोजगार मिला। पिछले एक साल में 10 बड़ी फिल्मों की शूटिंग उत्तराखण्ड में हुई। इसके लिए उत्तराखण्ड को बेस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट का नेशनल अवार्ड भी मिला है।
उत्तराखण्ड के समग्र विकास के लिए पहली बार ग्रोथ सेंटर की परिकल्पना की गई, ये ग्रोथ सेंटर प्रदेश की 670 न्याय पंचायतों में स्थापित होंगे, यहां स्थानीय स्तर पर मौजूद संसाधनों को रोजगार से जोड़ा जाएगा तथा स्थनीय लोगों को रोजगार के भरपूर अवसर उनके घर मे उपलब्ध कराये जायेंगे। अब तक 100 से ज्यादा स्थानों पर ग्रोथ सेंटर शुरू किये जा चुके हैं। ये ग्रोथ सेंटर – मसाले, ऊन, कीड़ाजड़ी, तिमला, पिरूल, शहद आदि पर केंद्रित हैं।
शत प्रतिशत प्लेसमेंट के लिये जाने जाने वाले प्लास्टिक इंजीनियरिंगसंस्थान सीपैट का 32वां केंद्र, केंद्र सरकार के सहयोग से डोईवाला, देहरादून मे प्रारम्भ कर दिया गया है। आईआईटी की तरह प्रतिष्ठित सीपैट का यह केंद्र पह्ले वर्ष मे 1500, दूसरे वर्ष मे 2500 व तीसरे वर्ष मे 3000 छात्र-छात्राओ को प्रशिक्षण देगा। इस संस्था्न में 85 प्रतिशत सीटें उत्तराखंड के छात्र-छात्राओ के लिये आरक्षित हैं व यहाँ से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद कम से कम 30 हजार रुपये प्रति माह के वेतन की गारंटी है। युवाओं का कौशल विकास करके उनको स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की दिशा मे राज्य सरकार ने बहुत तेज गति से कईं ठोस कदम उठाये हैं. विभिन्न योजनाओं के तहत करीब एक लाख लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा गया है।
राज्य सरकार की सूचना प्रोद्योगिकी नीति 2018 के तहत सूचना प्रोद्योगिकी एवम इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र की 18 कम्पनियो के साथ एमओयू हस्ताक्षरित किये गये हैं, जिसके अंतर्गत एक वर्ष मे 4620.48 करोड़ का निवेश होगा व अनुमानित 5,26,195 लोगों को रोजगार मिलेगा जो की प्रत्येक वर्ष के साथ बढ़ेगा।
कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से भी राज्य सरकार राज्य के युवा व युवतियों को उद्यमिता की और आकर्षित करते हुए स्वरोजगार के अनेकों अवसर प्रदान किये हैं। वर्तमान मे 6000 कार्यशील ब्ैब् हैं जिनके माध्यम से प्रत्यक्ष रूप से 5500 लोगों को तथा अप्रत्यक्ष रूप से 16,500 लोगों को रोजगार/स्वरोजगार प्राप्त हो रहा है. इसके अतिरिक्त ब्ैब् के माध्यम से राज्य मे ग्रामीण बीपीओ, सोसायटी बीपीओ, स्त्री स्वाभिमान यूनिट, डिजी गाँव, Public distribution system, wi&fi village] प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता इत्यादि से लगभग 37 हजार लोगों को रोजगार/स्वरोजगार प्राप्त हो रहा है.
इसके साथ साथ सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पाक की 14 इकाइयों के माध्यम से 35 हजार नागरिकों को रोजगार प्रदान किया जा रहा है। आईटी पार्क में स्थापित इंक्युबेशन केंद्र मे 12 स्टार्टअप इकाइयाँ कार्यरत हैं, जिनके माध्यम से लगभग 1000 नागरिकों को रोजगार प्रदान किया जा रहा है.
सहकारी सामूहिक खेती के माध्यम से, आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए, कृषि उत्पाद में वृद्धि करते हुए खेत से बाजार तक शीत श्रृंखला शीत भण्डारण तथा कृषि उत्पादों के परिवहन को सम्मिलित किया गया है। दुग्ध सहकारी समितियों के सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से 03 एवं 05 दुधारू पशुओं तथा 50 पशुओं की सहकारी डेरी फार्म की स्थापना किये जाने के लिए राज्य सहायता एवं ऋण भी दिया जा रहा है। 5266 पशुपालकों को प्रत्यक्ष रोजगार एवं स्वरोजगार उपलब्ध कराया जायेगा। साथ ही 10,000 भेड़-बकरी पालकों को संगठित किया गया है, जो प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होंगे, अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 40,000 कृषक लाभान्वित होंगे। कृषि एवं सम्बंधित क्षेत्रो में आगामी 3 से 5 वर्षों में राज्य में क्षेत्रानुसार कुल 55 हजार रोजगार सृजित होंगे व राज्य के अनुमानित 60 लाख लोग लाभान्वित होंगे। इसके लिये कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 3,340 करोड़ की धनराशि भी स्वीकृत की गयी है।
उत्तराखंड के 11 पर्वतीय जनपदों में 200 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना उत्तराखंड के स्थानी निवासियों के माध्यम से कराए जाने के लिए 15 मार्च 2019 तक प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं। साथ ही उत्तराखंड राज्य के पर्वतीय जनपदों में पिरूल नीति के अंतर्गत 5 मेगावाट क्षमता के विद्युत उत्पादन एवं बायोमास ब्रिकेटिंग इकाइयों हेतु उरेडा द्वारा दिनांक 14 फरवरी 2019 को प्रस्ताव प्रकाशित किए जा चुके हैं। पिरूल एकत्रीकरण एवं विक्रय से भी स्थानीय व्यक्तियों विशेषकर महिलाओं की आय के साधन विकसित हो सकेंगे तथा पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन रोकने में मदद मिल सकेगी। यू.जे.वी.एन.एल. द्वारा कुल 45.1 मेगावाट क्षमता की मुआनी, कमतोली एवं सेराघाट जनपद पिथौरागढ़ एवं पोखार लघु जल विद्युत परियोजना हेतु प्रस्ताव आमंत्रित किए जा चुके हैं। यू.पी.सी.एल. द्वारा हरिद्वार एवं देहरादून टाउन में कुल 2765 किलो वाट क्षमता के सोलर रूफटॉप परियोजनाओं की स्थापना हेतु प्रस्तावों का अंतिमीकरनन कर लिया गया है। व हरिद्वार जनपद के कुंभ क्षेत्र में HT < linesunderground cabling कार्यों हेतु दिनांक 1 जनवरी 2019 को निविदाएं आमंत्रित की गई हैं।
इन सभी परियोजनाओं में अनुमानत रू₹1916 करोड़ का निवेश होगा व राज्य में लाखों की संख्या में रोजगार के अवसर विकसित होंगे। इसके अतिरिक्त चार धाम ऑल वेदर रेल, रोड परियोजना व केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्य से भी हजारों युवाओं को रोजगार प्राप्त हो रहा है।
18 वर्ष के युवा उत्तराखंड राज्य में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं. लाखों अवसर हैं. आप भी इन अवसरों का लाभ उठाइए और राज्य के विकास में भागीदार बनिये।