देहरादून। जिलाधिकारी एस.ए मुरूगेशन की अध्यक्षता में नैदानिक स्थापन (रजिस्ट्रीकरण और विनियम) अधिनियम 2010 व उत्तराखण्ड शासन की नियमावली 2015 के अन्तर्गत जिला रजिस्ट्रीकरण प्राधिकरण की बैठक जिलाधिकारी कैम्प कार्यालय में आयोजित की गयी। बैठक में उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड नैनीताल द्वारा पारित आदेशों के अनुपालन के सम्बन्ध में जिलाधिकारी द्वारा न्यायालय की मंशा के अनुसार प्राधिकरण के सदस्यों को व्यापक दिशा-निर्देश दिये।
जिलाधिकारी ने निर्देश दिये कि नैदानिक स्थापन रजिस्ट्रीकरण और विनयमन अधिनियम 2010 के अन्तर्गत जिन सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों ने अभी तक क्लीनिकल एस्टाॅबलिशमेन्ट एक्ट के तहत् पंजीकरण नही कराया है, उनको 1 माह के भीतर अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराने का समय दिया जाय और 1 माह के पश्चात जो क्लीनिक नैदानिक स्थापन अधिनियम के तह्त पंजीकृत नही होगा उनको मा0 उच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों के क्रम में सील करने की कार्यवाही प्रारम्भ की जायेगी। उन्होंने कहा कि पंजीकृत संस्थानों को अधिनियम के निर्धारित मानकों के तहत् चिकित्सा करने वाला चिकित्सक निर्धारित सम्बन्धित योग्यता वाला हो, कोई भी चिकित्सक रोगियों की नैदानिक जांच नही करवायेगा और रोगी के स्वास्थ्य की स्थिति के आकलन हेतु मात्र आवश्यक जांच करायेगा। जिलाधिकारी ने समस्त नैदानिक स्थापनों में सेवाएं प्रदान करने वाले चिकित्सकों में राजकीय चिकित्सकों को निर्देश दिये कि उनके द्वारा रोगी को मात्र जैनरिक दवाएं ही लिखी जाएं, रोगी को ब्राण्डेड दवायें क्रय करने पर मजबूर न किया जाय साथ ही जेनरिक दवा भी ऐसी लिखें जो सामान्यतः अधिकतर मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध हो न कि चुनिदां मेडिकल स्टोर पर। उन्होंने सभी को चुनिंदा लैब पर टैस्ट करने को मजबूर न करते हुए मान्यता प्राप्त किसी भी लैब की रिपोर्ट को स्वीकार करने के भी निर्देश दिये। उन्होंने यह भी निर्देश दिये कि आईसीयू की बाहरी दीवार कांचयुक्त हो जो कपड़े के पर्दों से बन्द हो, जिससे निजी परिजन रोगी के स्वास्थ्य की स्थिति को देख सकें, साथ ही रोगी के स्वास्थ्य /स्थिति की जानकारी उसके परिजनों को प्रत्येक 12 घण्टे में उपलब्ध करायी जाय है तथा उसकी वीडियाग्राफी कराये जाने के भी सभी सरकारी और गैर सरकारी चिकित्सालयों को निर्देश दिये। इसके अतिरिक्त जिलाधिकारी ने प्राधिकरण के सदस्यों को निर्देश दिये कि सभी चिकित्सालयों और क्लीनिक विभिन्न जांच, सर्जरी एवं उपचार की दरें सार्वजनिक स्थल पर डिस्पले कर दें और न्यायालय के दिये गये सभी निर्देशों का अनिवार्य रूप से अनुपालन करना सुनिश्चित करायें।
इस दौरान मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय से प्रधान सहायक रविन्द्र डोगरा ने बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों को अवगत कराया है कि क्लीनिकल ऐस्टेब्लिशमेन्ट अधिनियम, 2010 व उत्तराखण्ड शासन की नियमावली 2015 के अन्तर्गत जनपद में कुल 307 चिकित्सालयों/नर्सिंग होम/क्लीनिकों द्वारा अधिनियम के तहत् अभी तक पंजीकरण कराया है, जिसमें से ऐलोपैथिक पद्धति में कुल 258, आयुर्वेदिक में 44 होम्योपैथिक में 02 और फिजियोथैरपी पद्धति में कुल 3 चिकित्सालय अभी तक पंजीकृत हुए हैं। उन्होंने कहा कि कुल 307 पंजीकृत चिकित्सालयों में 28 चिकित्सालयों द्वारा स्थायी पंजीकरण (05 वर्ष तक) तथा 279 चिकित्सालय अस्थायी (1-1 वर्ष) के लिए पंजीकृत हुए हैं। इस अवसर पर नगर आयुक्त नगर निगम विजय कुमार जोगदण्डे, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डाॅ के.के सिंह, आईएमए सदस्य डाॅ सुमन सेठी, डाॅ अजय खन्ना, डाॅ दयालशरण दयाल, डाॅ त्यागी सहित जिला रजिस्ट्रीकरण प्राधिकरण के सदस्य उपस्थित थे।