अपनी ओर पयर्टन स्थल मसूरी अन्य हिल स्टेशनों से भिन्न है क्योंकि यहां एक ओर बर्फ की सफेद चादर ओढे भव्य हिमालय प्रहरी की तरह खड़ा है तो दूसरी ओर मैदानों में शीतलता का संचार करती हुई गंगा मंथर गति से बह रही है।
मसूरी समुद्र तल से लगभग 6,500 फुट ऊंचाई पर स्थित है। पहाड़ों की रानी मसूरी के नजारों में जरूर कुछ बात है तभी तो यहां हर साल लाखों की संख्या में पयर्टक आते हैं खासकर हनीमून मनाने जाने वाले लोगों के लिए तो यह पसंदीदा जगह है। गनहिल मसूरी की दूसरे नंबर की सर्वाधिक ऊंची चोटी है। पुराने दिनों में समय का पता लगाने के लिए दोपहर को ठीक बारह बजे इस पहाड़ी पर रखी तोप दागी जाती थी। कुछ समय के बाद तोप हटा ली गई, तब से इसका नाम गनहिल पड़ गया। रोपवे से गनहिल पहुंचने का मजा सचमुच रोमांचक है। गनहिल में जहां एक ओर विशाल हिमालय की दूर-दूर तक फैली सफेद झिलमिलाती चोटियां दिखाई पड़ती हैं वहीं दूसरी ओर दून घाटी की बिखरी पड़ी अद्भुत सुंदरता का नजारा देखने को मिलता है। कैमल्स बैक रोड भी देखने योग्य जगह है। यह सड़क घुड़सवारी व सैर करने के लिए बहुत अच्छी है। कैमल्स बैक का यह रास्ता कुलरी स्थित रिंक हाल से शुरू होकर लाइब्रेरी बाजार पर खत्म होता है। इस रास्ते पर पहाड़ी का आकार कुछ-कुछ ऊंट की पीठ की भांति दिखाई देता है। इसलिए इस सड़क का नाम कैमल्स रोड़ पड़ गया। यहां की खास बात यह है कि पूरे रास्ते में जगह-जगह पर थकान मिटाने तथा प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लेने के लिए हवा घर बने हुए हैं।
लंढोर बाजार मसूरी के सर्वप्रथम निर्मित ‘मुलिंगार भवन’ से शुरू होकर लंढोर के घंटाघर पर खत्म होता है। एक मील लंबा यह बाजार पुराने समय की शान लिए हुए है। इस बाजार में कहीं तो आयातित सामान की दुकानें दिखाई देती हैं तो कहीं विशुद्ध भारतीय सभ्यता की गाथा कहती साधारण दुकानें हैं। आप लाल टिब्बा भी देखने जा सकते हैं। यह मसूरी की सर्वाधिक ऊंची चोटी है। आप यहां से दूरबीन की मदद से गंगोत्तरी, बदरीनाथ, केदारनाथ, नंदा देवी और श्रीकांता की चोटियों का विहंगम दश्य देख सकते हैं। मसूरी से करीब 15 किमी दूर चकराता रोड़ पर स्थित कैंपटी फाल मसूरी का एक और सुंदर स्थल है। पर्वतों में से फूट कर निकलता हुआ यह झरना पांच अलग- अलग धाराओं में चालीस फुट ऊंचाई ‘शरवत यादों का’ कविता से गिरता हुआ दिखाई पड़ता है। आप नौकायान करना चाहें तो लेकमिस्ट देखने जा सकते हैं। इस स्थान को आधुनिक पयर्टन स्थल के रूप में विकसित किया गया है।
मसूरी का म्यूनिसिपल गार्डन भी देखने योग्य है। यह गार्डन आजादी से पहले बोटोनिकल गार्डन कहलाता था। आजकल इसे कंपनी गार्डन भी कहा जाता है। कंपनी गार्डन में मुस्कुराते फूलों के अलावा एक छोटी सी कृत्रिम झील भी बनाई गई है। यहां पर निकट में ही एक छोटा सा तिब्बती बाजार भी है। इन सब स्थानों के अलावा आप मसूरी झील और भट्टा फाल तथा क्लाउड ऐंड भी देख सकते हैं। मसूरी के निकटवर्ती स्थलों की बात की जाए तो यमुना ब्रिज और नाग टिब्बा सहित धनोल्टी का नाम लिया जा सकता है। मसूरी तक जाने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन देहरादून है। देहरादून दिल्ली, हावड़ा, लखनऊ, वाराणसी, मुंबई, अमृतसर और इलाहाबाद सहित देश के प्रमुख शहरों से रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है।
देहरादून से मसूरी तक जाने को टैक्सियां भी आसानी से मिल जाती हैं। यदि आप गर्मी से राहत पाने के लिए मसूरी जाना चाहते हैं तो अप्रैल-जून के बीच मसूरी जाएं। जुलाई-सितंबर तक यहां बरसात का आनंद लिया जा सकता है। यदि वहां घूमने-फिरने जाना चाहते हैं तो इसके लिए उत्तम समय अक्टूबर से दिसम्बर के बीच का है। यहां जनवरी से फरवरी के बीच में हिमपात होता है।