अभी नहीं आया गैरसैंण को राजधानी बनाने का वक्त : रावत

देहरादून। पूर्व CM नेता हरीश रावत का कहना है कि गैरसैंण को राजधानी बनाने का अभी वक्त नहीं आया है। उनका कहना है कि गैरसैंण को अभी राजधानी घोषित करने का मतलब है कि उससे जुड़े जज्बातों और गैरसैंण को लेकर प्रदेश में विकसित हुई सोच की मूल आत्मा को खत्म करना।
उनका मानना है कि समय से पहले राजधानी घोषित करने से गैरसैंण का खात्मा हो जाएगा और इसके पीछे की मूल भावना का सर्वनाश हो जाएगा। उनका कहना है कि पहले गैरसैंण में ढांचागत विकास होना चाहिए। अनौपचारिक वार्ता के दौरान जब उनसे पूछा गया कि जब वह सत्ता में थे तो उन्होंने गैरसैंण को राजधानी क्यों नहीं घोषित किया तो उन्होंने कहा कि उन्हें वह बाप कतई नहीं समझें जो अपने पुत्र के जवान हुए बगैर पोते का नामकरण कर दे, वो भी बहू घर लाये बिना। समय से पहले कोई काम करेंगे तो विवाद ही पैदा होगा। समय का इंतजार करें। चीजों को समय के हिसाब से पकने दें। हरीश रावत ने कहा कि उनकी सरकार ने गैरसैंण को राजधानी के तौर पर विकसित करने का प्रयास किया। वहां कदम दर कदम काम किए। अभी काम पूरा होने में कुछ और वक्त लगेगा। कांग्रेस ने ही वहां कैबिनेट की बैठक करायी। बाद में विधानसभा का सत्र आहूत किए। इस बार बजट सत्र कराने की योजना भी बनाई थी इस तरह धीरे-धीरे गैरसैंण राजधानी के रूप में विकसित होने लगा था। उन्होंने कहा कि वो लोग नहीं चाहते थे कि गैरसैंण में कुछ हो। वे गैरसैंण से जुड़े जज्बात को खत्म करना चाहते हैं। वे उनको उलझाना चाहते थे। वे चाहते थे कि हरीश सरकार गैरसैंण के मुद्दे पर जल्दबाजी में कोई फैसला लें। कांग्रेस गैरसैंण को मरने नहीं देगी। उन्होंने एक सोची समझी रणनीति के तहत इस बार गैरसैंण में विधानसभा का बजट सत्र नहीं होने दिया। यदि बजट सत्र होता तो गैरसैंण में राजधानी के रूप में विकास के कुछ और काम होते। इस बार विधानसभा का सत्र नहीं होने का मतलब है कि दो वर्ष तक वहां कोई गतिविधियां नहीं होंगी ।

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