देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। वैश्विक वन स्थिरता को प्राप्त करने के लिए भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आईसीएफ़आरई), देहरादून, भारत और अंतर्राष्ट्रीय वानिकी अनुसंधान संगठन (आईयूएफ़आरओ), वियना, ऑस्ट्रिया के बीच 7 फरवरी को एक दस वर्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया। आईयूएफ़आरओ 127 देशों में विस्तृत तथा लगभग 650 सदस्य संगठनों से समृद्ध एक वैश्विक नेटवर्क है जो दुनिया भर के 20,000 वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के साथ मिलकर वन विज्ञान और लोगों को जोड़ते हुये वन विज्ञान सहोद्योग के लिए कार्य करता है। इस समझौता ज्ञापन से औपचारिक सहयोग स्थापित करने में मदद मिलेगा और इससे दोनों ही एक दूसरे की क्षमताओं का लाभ उठा सकेंगे। वानिकी से संबन्धित दोनों संगठन एक साथ वैश्विक स्तर पर सतत विकास हेतु वन और वानिकी के योगदान को बढ़ाने, जैव विविधता संरक्षण, जलवायु परिवर्तन की समस्या से मुकाबला करने और भूमि क्षरण की रोकथाम की दिशा में एक साथ काम करेंगे। आईसीएफ़आरई और आईयूएफ़आरओ, वनों से संबंधित विज्ञान को नीति और क्रियान्वयन से जोड़कर वैश्विक मामलों में महत्वपूर्ण योगदान देने की स्थिति में भी हैं। यह समझौता मानव कल्याण, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता लक्ष्यों सहित वन स्थिरता को आगे बढ़ाने के साझा लक्ष्यों को प्राप्त करने के संबंध में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। समझौता ज्ञापन पर डॉ. एस.सी. गैरोला, महानिदेशक आईसीएफ़आरई और डॉ. जॉन पैरोटा, अध्यक्ष, आईयूएफ़आरओ ने हस्ताक्षर किए।