देहरादून। छात्र-छात्राओं के आधार कार्ड नहीं होने पर मदरसों और सहायताप्राप्त अशासकीय शिक्षण संस्थाओं को सरकारी मदद रोकी जाएगी। नए मदरसों और निजी स्कूलों को मान्यता देने में छात्र-छात्राओं का आधार अनिवार्य किए जाने की शर्त का पालन करना होगा।
अपर सचिव विद्यालयी शिक्षा एवं शिक्षा महानिदेशक आलोक शेखर तिवारी ने बताया कि सरकारी विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के आधार कार्ड बनाने के लिए शिक्षकों के साथ ही अब संस्थाध्यक्षों को भी जवाबदेह बनाया गया है। यदि निर्धारित तिथि तक आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई तो संबंधित संस्थाध्यक्ष का वेतन रोक दिया जाएगा। साथ ही उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही भी की जाएगी। इसकी जिम्मेदारी संबंधित अधिकारी की होगी। उन्होंने बताया कि जिलास्तर पर आधार बनाने के लिए माइक्रो प्लान तैयार कर कार्यवाही के निर्देश सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को दिए गए हैं। विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के आधार कार्ड बनवाने में हीलाहवाली होने पर शिक्षकों का भी वेतन काटा जाएगा।
उल्लेखनीय है कि राज्य के सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं का आधार कार्ड 31 अगस्त तक बनाने का फरमान पहले ही जारी किया जा चुका है। इस फरमान पर अमल में शिक्षा महकमे को तमाम दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार अभी तक कक्षा एक से 12वीं तक 74 फीसद छात्र-छात्राओं के आधार बन सके हैं। इनमें माध्यमिक स्तर पर यह संख्या 90 फीसद से ज्यादा है, लेकिन प्राथमिक स्तर पर बच्चों का आधार बनाने का आंकड़ा 60 फीसद से भी कम बताया जा रहा है। इसमें हीलाहवाली न हो, इसके लिए शिक्षा महकमे ने सरकार के स्तर पर दी जाने वाली मदद से इसे जोड़ दिया है। केंद्र सरकार की मिड डे मील समेत तमाम योजनाओं में बजट तब ही दिया जाएगा, जब बच्चों का आधार कार्ड बना होगा।